उपसंहार।
श्रद्धास्पद जमसेदजी नसरवानजी ताताके जीवनका वृत्तांत आपने पढ़ा। आपने देखा है कि किस तरह साधारण पुरोहित पारसी परिवारमें जन्म लेकर आपने उद्योग और पुरुषार्थसे व्यवसाय उठाया। धक्के पर धक्के खानेपर भी आपने धैर्य नहीं छोड़ा। युवावस्थामें आपने ऐसे ऐसे काम उठाये जिनके करने का साहस पहले किसी भारतवासीको नहीं हुआ था। इतनाही नहीं, आप उन कार्योंमें सफलीभूत भी रहे, उनसे अपार धन भी आपने पैदा किया और कमाये हुए धनको अखंड कीर्तिके बदले में आपने व्यय भी खूब किया। आपके दान और सत्कार्यों से देशको जो लाभ हुआ, होरहा है और होगा उसको भी पाठक जानते हैं। ऐसे महापुरुषकी अचानक मृत्युके वज्राघातको भी आपने सहन किया। आपने शोक मनाया, स्मारक सभाकी और मूर्तिमान उद्योग, परमदेशभक्त ताताजीका स्मारक भी आपने बनवाया। इतने दिन होगये, सब बातें पुरानी होगईं, लेकिन भारतमाता अब भी खिन्न मुख नीचे किये बैठी हैं। उनको ढाढस देने के लिये आपको ऊंचे भाव हृदयमें लाने होंगे, उनको कार्य में परिणत करना पड़ेगा, स्वार्थका ध्यान छोड़ना पड़ेगा, जातिभेद, मतभेद सब दूर हटाकर एक होकर देशको उठाना पड़ेगा। कर्मवीर जमसेदजी नसरवानजी ताताका जीवन हमको यही शिक्षा देता है। क्या आप उनका अनुकरण न करेंगे?