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जीवन चरित्र।
की रचना हुई। बहुतसे लोग सोचते थे कि हिन्दुस्तानमें लोहे का काम बड़ी कामयाबीसे चल सकता है लेकिन उसको कार्यरूपमें लाना मिस्टर ताताहीका काम था।
मिस्टर ताताने ३८ वर्षकी अवस्थामें नागपुरकी इम्प्रेस मिल खोली थी। उस कामको उठानेके पहले आपने लैंकशायरमें काफी तजरबा हासिल कर लिया था। मिल इतनी कामयाब रही कि २६ वर्षमें मूलधनका बारहगुना मुनाफा हिस्सेदारों में बांटा गया।
हिन्दुस्तानी युवकोंके उत्साहके लिये ऐसे महापुरुषका जीवन चरित्र लिखा जाना चाहिये। मालूम नहीं कितने गुण हम आपसे सीख सकते हैं। जिस स्मारकको खोलनेका सौभाग्य मुझको प्राप्त हुआ है, उससे उस महात्माका स्मरण होगा जिसके लिये पारसी जाति, बंबई सूबा और समग्र भारतवर्ष अभिमान करैगा।