पृष्ठ:जमसेदजी नसरवानजी ताता का जीवन चरित्र.djvu/६

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समर्पण।


प्यारे मोहन!

गीतामें बतलाये हुए तुम्हारे कर्मयोगको अपने जीवन में चरितार्थ कर दिखलानेवाले एक वीर, एक असाधारण महापुरुष, तुम्हारे वियोगमें कातरहृदया भारतमाताके एक सच्चे सपूतके जीवनकी संक्षिप्त कहानी तुम्हारे कोमल कमल चरणों पर अर्पित है।

नाथ! ऐसा करो कि तुम्हारे इस प्रमोद वनमें रोज ऐसेही सुगंधित सुमन कुसुमित हों, मैं उनकी माला गूथूँ और लेकर प्रेमसे, भक्तिसे और अभिमानसे तुमको पहना दूं और तुम भी स्वीकार करते रहो। इस समय यही लालसा है। आगे मालूम नहीं क्या होगा?

तुम्हारा

म॰ दि॰ ग॰।