जगद्विनोद ( २३) दिन तौ बितायो बधू बीततिहै कैमे राति । ताप सरसानी देखै अति अकुलानी जऊ, पति उरआन तऊ सेजमें बिलानीजाति १३ दोहा-सौति संयोगन रोग कछु, नहिं वियोग बलवन्त । ननँद होत क्यों दूवरी लागत ललित बसन्त १४ होनहार संकेतको, धार अभाव उरमाहि । दुखित होत सो दूबरी, कहत अनुसिया ताहिं १५ अथ दूसरी अनुशयना नायकाका उदाहरण । कवित्त-चालो सुनि चन्द्रमुखी चित्तमें सुचन कार, तित बन बागन घनेरे अलि घमि रहे ॥ कहै पदमाकर मयूर मंजु नाचत हैं। चाइसों चकोरिनि चकोर चमि चमि रहे। कदम अनार आम अगर अशोक थोक, लतन समेत लोने लोने लगि झुमि रहे। फूल रहे फल रहे फैलि रहे फबि रहे, झपिरहे झलिरहे झुकिरहे झूमि रहे ॥१६॥ दोहा-निघटत फूल गुलाबके, धरति क्यों न धनधीर । अमल कमल फूलन लगे, विमल सरोवर नीर १७ जु तिय सुरत संकेतको, रमन गमन अनुमान । व्याकुल होति सु तीसरी, अनुशयना पहिचान १८ तीसरी अनुशयनाका उदाहरण-सबैया ।। चारिहूंओरते पौनझकोर झकोरनि घोर घटा घहरानी । 1
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