जगद्विनोद ( 999) अथ भयका उदाहरण ।। कवित्त-चित चित चारों ओर चौंकि चौंकिपरै त्योंहीं, जहां तहां जब तब खटकतपात हैं। भाजन सो चाहत गँवार ग्वालिनीके कछू, डरन डरनि से उठाने रोम गात हैं । कहै पदमाकर सु देखि दशा मोहनकी, शेषहु महेशहु सुरेशहु सिहात हैं। एकपाय भीत एकमात कांधेधरे एक, एकहाथ छीकी एकहाथ दधिखातहैं ॥ २१ ॥ दोहा-तीन पैग पुहुमी दई, प्रथमहि परमपुनीत । बहुरि बढतलखिबामनहिं, भेवलिकछुकसभीत ॥ जहँधिनायजितचीजलखि, सुमिरिपरसमनमाँह । उपजत जो कछुधिनयहै, ग्लानिकहतकविनाह ॥ याही को नाम जुगुप्सा जानिये ॥ अथ ग्लानिका उदाहरण । कवित्त-आवत गलानि जो बखान करो ज्यादा यह, मादा महमलमूत मज्जकी सलीती है ॥ कहै पदमाकर जरातो जागि भीजी तब, छीजी दिन रैन जैसे रैनहींकी भीती है। सीतापति रामके सनेह वश बीती जुथै, तौ तौ दिव्य देह यमयावनाते जीती है ॥ रीती रामनामते रही जो बिनकाम तो,
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