यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
छाया
२४
 


है---रो रही है, और वह स्त्री एक मनुष्य के साथ रेल में बैठने को उद्यत है। उनकी कन्दन-ध्वनि से वह स्त्री दीन भाव से उनकी ओर देखती हुई, बिना समझे हुए, सेकंड क्लास की गाड़ी में चढ़ने लगी; पर उसमें बैठे हुए बाबू साहब---'यह‌ दूसरा दर्जा है, इसमें मत चढ़ों' कहते हुए उतर पड़े, और अपना हंटर घुमाते हुए स्टेशन से बाहर होने का उद्योग करने लगे।

विलायती पिक का वृचिस पहने, बूट चढ़ाये, हंटिंग कोट धानी रंग का साफा, अंग्रेजी हिन्दुस्तानी का महासम्मेलन बाबू साहब के अंग पर दिखाई पड़ रहा है। गौर वर्ण, उन्नत ललाट---उसकी आभा को बढ़ा रहे है। स्टेशन मास्टर से सामन, होते ही शेकहैण्ड करने के उपरान्त बाबू साहब से बातचीत होने लगी।

स्टे० मा०---आप इस वक्त कहां के आ रहे है ?

मोहन०---कारिन्दों ने इलाके में बड़ा गड़बड़ मचा रक्खा है, इसलिये में कुसुमपुर---जो कि हमारा इलाका है-इन्स्पेक्शन के लिए जा रहा हूँ।

स्टे० मा०---फिर कब पलटियेगा ?

मोहन०---दो रोज में। अच्छा, गुड इवनिंग!

स्टेशन मास्टर, जो लाइन-क्लियर दे चुके थे, गुड इवनिंग करते हुए अपने आफिस में घुस गये ।

बाबू मोहनलास अंग्रेजी काठी से सजे हुए घोड़े पर, जो कि पूर्व ही से स्टेशन पर खड़ा था, सवार होकर चलते हुए।

सरलस्वभावा ग्रामवासिनी कुलकामिनीगण का सुमधुर संगीत धीरे-धीरे आम-कानन में से निकलकर चारों ओर गूंज रहा है । अन्ध-कार-गगन में जुगनू-तारे चमक-चमककर चित्त को चञ्चल कर रहे