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चोखे चौपदे
किस तरह प्यार कर सकें उन को।
जो चुभे बार बार नेजे स॥
दुख कलेजा गया जिन्हें देखे।
क्यों लगाये उन्हें कलेजे से॥
बेतरह रोब गाँठते ही थे।
अब गया मौत को सहेजा क्यों॥
आँख तो आप काढ़ते ही थे।
अब लगे काढ़ने कलेजा क्यों।
किस तरह रीझता रिझाये वह।
जब किये प्यार खीज खीजा ही॥
किस तरह तब पसोजता कोई।
जब कलेजा नहीं पसीजा ही॥
है बड़े बेपीर से पाला पड़ा।
भाग में सुख है न दुखियों के लिखा॥
जो कलेजा देख दुख पिघला नहीं।
तो कलेजा काढ़ कैसे दे दिखा॥