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केसर की क्यारी


मोतियों से पिरो न क्यों देवें।
कब समझदार हो सके संठे॥
लठ के लठ ही रहेंगे वे।
लंठ लें कठ मे, पहन कठे॥

जब किसी का पॉव हे हम चूमते।
हाथ बाँधे सामने जब है खड़े॥
लाख या दो लाख या दस लाख के।
क्या रहे तब कठ मे कठे पड़े॥

क्या हुआ प्यार-पालने में पल।
जो नही है कमाल भेजे में॥
वे रखे जॉय कालिजों में भी।
जो गये है रखे कलेजे मे॥

मन मरे दूर हो अमन जिस से।
सुख पिसे, चूर चूर होने की॥
है बनाती कड़ा नहीं किस को।
वह कड़ाई कड़े कलेजे की॥