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तरह तरह की बातें

माँस खाया पिया हुआ लोहू।
क्या पत्राना इसे न प्यारा है।।
है कमोरा कपट कटूसी का।
पेट यह पाप का पेटारा है॥

है बड़ा जजाल, है झंझट भरा।
माजरा है मान मटियामेट का।
है कनौड़ा कर नही देता किसे।
पेट रखना या रखाना पेट का॥

पाप जो प्यारा नहीं होता उसे।
मान, तो पापी कहा खोता नहीं॥
वह पचाता तो पराया माल क्यों।
पेट मतवाला अगर होता नही॥

क्यों पले पीस कर किसी को तू।
है बहुत पालिसी बुरी तेरी॥
हम रहे चाहते पटाना ही।
पेट तुझ से पटी, नहीं मेरी॥