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मुँहचोर

हम नहीं हैं कमाल वाले कम।
लोग हम में कमाल पाते हैं॥
कुछ चुराते नहीं किसी का भी।
पर सदा मुँह हमी चुराते हैं।।

वे अगर है चतुर कहे जाते ।
ए बड़े बेसमझ कहायेंगे।।
जब कि चितचोर चित चुराते हैं।
क्यों न मुँहचोर मुँह चुरायेंगे।

तब उसे सामना रुचे कैसे।
जब रही लाज को लगी डोरी।।
है लटे वित्त की लपेट बुरी।
चूक की है चपेट मुँहचोरी॥