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चोखे चौपदे
रोटियों के अगर पड़े लाले।
हैं अगर आस पास दुख घिरते॥
क्यों नहीं तो निकाल जी देते।
दाँत क्या है निकालते फिरते॥
छोन धन, मान मूस कर जिस ने।
देह का माँस नोच कर खाया॥
चूस लो उस चुड़ैल का लोहू।
होंठ को चूस चूस क्या पाया॥
सुध भला किस तरह हमें होवे।
है लड़कपन अभी नही छूटा॥
कुछ कहें तो भला कहें कैसे।
कठ भी आज तक नहीं फूटा॥
पोंछने के लिये बहे आँसू।
जो बहुत दुख भरे गये पाये॥
पूँछ हैं तो उठी उठी मूछें।
जो उठावे न हाथ उठ पाये॥