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चोखे चौपदे

मनचलापन मकान आला है।
चोचला चौक चाववाला है॥
है चुहल से चहल पहल पूरी।
नर-कलेजा नगर निराला है॥

है भले भाव देवते जैसे।
है कही देवते नही वैसे॥
है कहीं भक्ति सी नही देवी।
हैं न मंदिर कहीं कलेजे से॥

चेरियॉ है चुनी हुई चाहें।
चाव सा है बड़ा चतुर चेरा॥
मन महाराज मति महारानी।
है कलेजा महल सरा मेरा॥

है समझ को जहाँ समझ मिलती।
है जहाँ ज्ञानमान मन जैसा॥
पढ़ जहाँ पढ़ गये अपढ़ कितने।
है न कालिज कही कलेजे सा॥