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चोखे चौपदे

भर गई हैं खुटाइयॉ जिस में।
भाव उस मे भले भरोगे क्या॥
है बुरे कब बुराइयाँ तजते।
मन बुरा मान कर करोगे क्या॥

हे कराती काम वे बातें नही।
जो जमाये से नही जो मे जमे॥
मान करके जो न मन को ही चलें।
मिल सके ऐसे न मन वाले हमे॥

कम न अपमान हो चुका जिन का।
हित उन्हे मान क्यों नही लेते॥
बात यह मान की तुमारे है।
मन उन्हे मान क्यों नही देते॥

जो बनाये जॉय बिगड़े काम सब।
बात बिगड़ी जायगी कैसे न बन॥
माल मनमाना उसे मिल जाय तो।
क्यों न मालामाल हो पामाल मन॥