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चोखे चौपदे
हैं निराली निपट अछूती जो।
हैं वही सूझ काम में लाते ॥
कम नहीं है कमाल कबियों में।
है कलेजा निकाल दिखलाते ॥
क्यों न दिल खीच ले उपज पाला।
जो कि उपजी कमाल भी कुछ ले ॥
जिन पदों में छलक रहा है रस।
क्यो कलेजा न सुन उसे उछले ॥
भाव में डूब पा अनूठे पद ।
जिस समय है कबिन्द जी लड़ता ॥
हैं उमगें छलॉग सी भरती।
है कलेजा उछल उछल पड़ता ॥
तज उसे कौन है मला ऐसा ।
दिल कमल सा खिला मिला जिसका ॥
फूल मुंह से झड़े किसी कबि के।
है कलेजा न फूलता किस का ॥