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चोखे चौपदे
नौ महीने पेट में, सह साँसतें।
रख जतन से कौन तन-थाती सकी ॥
माह मे माती हुई मा के सिवा।
कौन मुंह में दे कभी छाती सकी ॥
प्यार मा के समान है किस का।
हैं कढ़ी धार किस हृदय-तल से ॥
छातियों मिस हमे दिये किस ने।
दूध के दो भरे हुए कूलसे ॥
दृध छाती में भरा, भर बह चला।
आँख बालक ओर मा की जब फिरी ॥
गंगधारा शभु के शिर से बही।
दूध की धारा किसी गिरि से गिरी ॥
एक मा मे कमाल ऐसा है।
कुंभ को कर दिया कमल जिस ने ॥
रस भरे फल हमें कहाँ न मिले ।
फल दिये दूध से भरे किस न ॥