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चोखे चौपदे
चाहते है कभी न दो आँखे।
दुख जिन्हे धुंध साथ घेरे हो॥
ठीक, सुथरी, निरोग, उजली हो।
एक ही आँख क्यों न मेरे हो॥
आप ही समझे हमे क्या है पड़ी।
जो कि अपने आप पड़ जायें गले॥
है जहाँ पर बात चलती ही नही।
कौन मुँह ले कर वहाँ कोई चले॥
क्या करेंगे तब अछूती जीम रख।
जब कि ओछी सैकड़ों बातें सही॥
लोग छीछालेदरों में क्यों पड़ें।
छेद मुँह में क्या किसी के है नहीं।
मर मिटेंगे सचाइयों पर हम।
दूसरे नाम के लिये मर लें॥
हम डरेंगे कभी न हँसने से।
लोग हँसते रहें हँसी कर लें॥