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चोखे
लाख उस के साथ उस को प्यार हो।
मन रुची किस काल होनी ने न की॥
कौन चारा हाथ बेचारा करे।
जो न पहुँचा तक पहुँच पहुँची सकी॥
क्या मिला बरबाद करके और को।
क्यों लगा दुखबेलि सुख खोते रहे॥
हाथ तो हो तुम बुरे से भी बुरे।
जो बुराई बीज ही बोते रहे॥
हाथ! सच्ची बीरता तो है यही।
सब किसी के साथ हित हो प्यार हो ॥
बोर बनते हो बनो तो बीर तुम।
क्यों चलाते तोर औ तलवार हो॥
हाथ देखो बने न बद उँगली।
वह बदी से रहे सदैव बरी॥
कुछ कसर कोर है नही किस मे।
हो बुराई न पोर पोर भरी॥