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दम
क्यों लिया यह न सोच पहले ही।
आप तुम बारहा बने यम हो॥
है खटकते तुम्हें किये अपने।
क्या अटकते इसी लिये दम हो॥
छींक
पड़ किसी की राह मे रोड़े गये।
औ गये कॉटे बिखर कितने कही॥
जो फला फूला हुआ कुम्हला गया।
यह भला था छीक आती ही नही॥
क्यों निकल आई लजाई क्यों नहीं।
क्यों सगे पर यो बिपद ढाती रही॥
तब भला था, थी जहाँ, रहती वही।
छीक जब तू नाक कटवाती रही॥