पृष्ठ:चित्रशाला भाग 2.djvu/१४९

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चित्रशाला - बद सजन-अस्सी हजार तो बहुत है ! रिटर काम तो देखिए : धापके चार नाव पर पानी फिर जाता है! वह समन-दी, यह बात तो जरूर है। अन्दा, स्वीकार है। "नाता धन जी देखिए; ती प्राधा कोने योट। ऐसा ही सही। बैरिस्टर०-ती प्राधा मिहनताना तो पहले रखिए, और इसकी फोर्ट की। वह सजन-कोट-फ्रीस तो दी ही जायगी; परंतु मिहनताना श्राधा-याघा पहले नहीं । रुपए पाँच हजार श्राप श्रमी ले लीजिए। मुकदमा जीत जाने पर पानी सय दे दिया जायगा। "पाँच हजार तो बहुत कम है।" वह सनन-तो इससे अधिक की तो गुंजाइश नहीं है । श्रापको यदि यह प्रयान हो कि हम बेईमानी कर जाएंगे, तो हुदी रुजका, दस्तावेज, चाहे जो लिखा लीजिए। वैरिस्टर०-नर, यह बात तो नहीं है। मुझे श्राप पर पूरा विश्वास है । मगर- वह मन्जन -अगर-मगर का अब क्या काम ? जब आपको विश्वास है, तो फिर भागे कुछ कहना व्यर्थ है। टस व्यक्ति ने ऐसी बच्छेदार बातें बनाई कि वैरिस्टर साहब स्वयं कानूनदा होकर भी टसकी बातों में प्रा. गए, और मुकदमे को ले लिया। उसने पूछा-हाँ, यह बात तो बतजाइए कि आप इस केस को से चलावेंग? बैरिस्टर साहब-इस दस्तावेज़ में एक गवाह का स्थान छूटा . हुआ है। वह सजन-हाँ, टूटा तो है।