पृष्ठ:चित्रशाला भाग 2.djvu/१००

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चिन्नशाला - बफरियां लिए हुए जा रही थी। उसके पास पहुँचकर शेख साहब ने कहा-कहो चौधराइन, अब लौटी ? चौधराइन ने मुसकिराकर कहा-हाँ मालिका, अाज तनिक देर हो गई। शेख साहय ने कहा-चौधराइन, थाल हमने एक नई औरत देखी, श्रमी विलफुल नौजवान है । तुम्हें मालूम है, वह कौन है ? चौधराइन कुछ क्षण तक सोचकर मुसकिराते हुए बोली-हाँ चंदन सिंह के लड़के का गौना परसों हुया है। वहीं होगी, गोरी-गोरी है ? शेन साहब--हाँ, आँखें बड़ी-बड़ी हैं। चौधराइन-तो बस वही होगी, मालिक को सब खबर रहती है। शेख्न साहव-गाँव के जमींदार है कि दिल्लगी? सब खबरें रखनी पढ़ती हैं । सुनो चौधराइन, इस ठकुराइन को हमारे लिये ठीक कर दो, तो बड़ा काम करो। चौधराइन मुसकिराकर बोनी-मालिक के पसंद भाई क्या ? शेन साहब-वह चीज़ ही ऐसी है । हाँ तो बोलो, ठीक कर दोगी? चौधराइन कुछ क्षण तक सोचकर बोली-काम वड़ा कठिन है, ‘पर कुछ जतन करूँगी। शेख साहव तो तुमने जतन कर दिया, तो तुम्हें इनाम मिलेगा। यह कहकर शेन साहब एक ओर चल दिए । (२) ठाकुर चंदनसिंह एक साधारण किसान है । इनकी बयस ६० चर्प के लगभग है। अतएव घर ही में पढ़े रहते हैं, वाहर कम निकलते हैं । इनके दो पुत्र हैं 1 एक की वयस २५ वर्ष के लगभग है और दूसरे की २३ वर्ष के लगभग । बड़े का नाम शंकरशासिंह है और छोटे का रामसिंह । शंकरवस्यसिंह का विवाह हो चुका है, गौना .