पृष्ठ:चिंतामणि दूसरा भाग.pdf/१५९

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
१५२
चिन्तामणि

________________

१५२ चिन्तामणि साथ पूरा साहचर्य है और दूसरे में विच्छेद । दोनों एक दूसरे के विरुद्ध हैं। | काव्यक्षेत्र में ब्राउनिंग का लक्ष्य बहुत ही उच्च था । उनका लक्ष्य था गृढ़ और ऊंचे विचारो के साथ हृदय के भावो का संयोग करना । जैसा हम पहले कह आए है अव मनुष्य का ज्ञानक्षेत्र बुद्धिव्यवसायात्मक या विचारात्मक होकर अत्यन्त विस्तृत हो गया है। अतः उसके विस्तार के साथ हमें अपने हृदय का विस्तार भी बढ़ाना पड़ेगा । कितने गहरे, ऊँचे और व्यापक विचारों के साथ हमारे किसी भाव या मनोविकार का संयोग कराया जा सका हैं, कितने भव्य और विशाल तथ्य तक हमारा हृदय पहुँचाया जा सका है, इसका विचार भी कवियों की उन्नती स्थिर करने में बराबर रखना पड़ेगा । ब्राउनिंग का आदर्श यही था । वे कवि-कर्म को बहुत गम्भीर समझते थे ; मनबहुलाव या कुनृहुल की सामग्री नहीं । चित्रकला, मूर्तिकला आदि हलकी कलाओं के साथ कविता को विल्कुल मिलाकर जो काव्यसमीक्षा योरप में चली उसने काव्य के लक्ष्य की धारणा वहुत हलकी और संकुचित कर दी है। सच्ची स्वाभाविक रहस्य-भावना वाले कवि और साम्प्रदायिक या सिद्वान्ती रहस्यवादी की पहचान के लिए काव्य-वस्तु ( Matter ) का भेद आरम्भ मे ही हम दिखा आए हैं। विधान-विधि (Form ) का भेद ऊपर भूचित किया गया। स्वाभाविक रहस्य-भावना-सम्पन्न कवि प्रकृति का कोई खण्ड लेकर वस्तु-व्यापार की संश्लिष्ट और शृङ्खलाबद्ध योजना द्वारा पूर्ण दृश्य का विधान करते चलते हैं। उनकी रूपयोजना विस्तीर्ण और जटिल होती है तथा कुछ दूर तक अखण्ड चलती है, पर साम्प्रदायिक या सिद्धान्ती रहस्यवादी कुछ बँधी हुई और इनी-गिनी वस्तुओं की ठीक उसी प्रकार अलग-अलग झलक दिखाकर रह जाते हैं जिस प्रकार हमारे पुराने शृङ्गारी कवि, ऋतुओ के वर्णन