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चिन्तामणि

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१०२ चिन्तामणि स्वास्थ्य को जानने से हमे उस काव्य के रसानुभव में क्या सहायता पहुँचेगी ? तुम्हारी आलोचना तो हमारा ध्यान उस काव्य पर से हटाकर तुम पर और तुम्हारी अनुभूतियो पर ले जाती है। इस पर शायद वह यह कहे कि “इसी प्रकार तो और ढंग की समालोचनाएँ-निर्णयात्मक (Judicial), ऐतिहासिक ( Historical) मनोवैज्ञानिक( Psychological ) इत्यादि) —भी ध्यान हटाती हैं। यो यह वाद-प्रतिवाद और भी आगे बढ़ सकता है। पर हम समझते हैं कि उसे यहाँ पर आकर रुक जाना चाहिए कि समालोचना के लिए विद्वत्ता और प्रशान्त रुचि दोनों अपेक्षित हैं। न रुचि के स्थान पर विद्वत्ता काम कर सकती है। और न विद्वत्ता के स्थान पर रुचि । अतः विद्वत्ता से सम्बन्ध रखनेवाला निर्णयात्मक आलोचन (Judicial Criticism ) और रुचि से सम्बन्ध रखनेवाली प्रभावात्मक समीक्षा दोनो आवश्यक हैं। एक पुरुप है, दूसरी स्त्री । एक सक्रिय है, दूसरी निष्क्रिय । एक प्रतिष्ठित आदर्श को लेकर किसी काव्य की परीक्षा में प्रवृत्त होता है और उसके प्रभाव में न आकर अपनी क्रिया में तत्पर रहता है। दूसरी उस काव्य के प्रभाव को चुपचाप ग्रहण करती हुई उसी में मग्न हो जाती है ।। यह तो अवश्य है कि काव्य में अनुभूति या प्रभाव ही मुख्य है । पर इस अनुभूति को एक हृदय से दूसरे हृदय तक पहुँचाना रहता है।

इन सब प्रकार को आलोचनाओं के विवरण के लिए देखिए हमारा हिन्दी साहित्य का इतिहास ( पुस्तकाकार संस्करण )।

In every age impressionism ( or enjoyment ) and dogmatism (or judgment ) lave grappled with one another They are the two sexes of criticism, xxx-The masculine criticism, that may or may not force its own standard on literature, but that never, at all events, is dominated by the object of its studies, and the feminine criticism, that responds to the lure of art with a kind of passive ecstacy. J. E. Spingarn--'The News Criticism"