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दृश्य ३ ]
चाँदी की डिबिया
गाड़ी का किराया समझ लीजिए। मुझे और कुछ कहने की ज़रूरत नहीं। धन्यवाद देने की भी कोई ज़रूरत नहीं।
[ घंटी बजाकर वह चुपचाप दरवाज़ा खोल देता है, अपरिचित स्त्री रुपए को बटुए में रख लेती है और जैक की तरफ़ से बार्थिविक को देखती है। उसका मुख पुलकित हो उठता है, वह मुंह अपने हाथ से छिपा लेती है और चुपके से चली जाती है। बार्थिविक दरवाज़ा बन्द कर देता है ]
बार्थिविक
[ गम्भीर भाव से ]
क्यो, कैसी दिल्लगी रही!
जैक
[ विरक्त भाव से ]
संयोग की बात।
बार्थिविक
इस तरह वह चालीस पौंड उड़ गए! पहिले एक बात फिर दूसरी बात। मैं एक बार फिर पूछता हूँ कि
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