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दृश्य १ ]
चाँदी की डिबिया
लिवेंस
हज़ूर, मैं इतना ही कहता हूँ कि अगर मुझे काम मिल जाय तो मैं बड़ी ख़ुशी से उनकी परवरिश करूँगा। लेकिन मैं क्या करूँ हज़ूर, मेरे तो भोजन का ठिकाना नहीं। सराय में पड़ा रहता हूँ। मैं मज़बूत आदमी हूँ, काम करना चाहता हूँ। दूसरों से दूनी हिम्मत रखता हूं लेकिन हज़ूर देखते हैं कि मेरे बाल पक गए हैं ब़ुखार के सबब से।
[ अपने बाल छूता है ]
इस लिए मैं जँचता नहीं। शायद इसी लिए मुझे कोई नौकर नहीं रखता।
मैजिस्ट्रेट
[ आहिस्ता से ]
हाँ, हाँ! मैं समझता हूँ कि यह एक मामला है।
[ लड़कियों की तरफ़ कड़ी आँखों से देख कर ]
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