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चाँदी की डिबिया
[ अड़्क २
मिसेज़ बार्थिविक
किसी औरत की? नहीं! नहीं! जैक! ऐसा न कहो।
जैक
[ उछल कर ]
तुम मानती ही नहीं थी तो मैं क्या करता। मैं तो नहीं बताना चाहता था। मेरा क्या क़सूर है?
[ द्वार खुलता है और मारलो एक आदमी को अंदर लाता है अधेड़, कुछ मोटा आदमी है। शाम के कपड़े पहने हुए है। मूछें लाल और पतली हैं, आंखें काली और तेज़। उसकी भवें चीनियों की सी हैं। ]
मारलो
रोपर साहब आये हैं हुज़ूर!
[ वह कमरे से चला जाता है ]
रोपर
[ तेज़ आँखों से चारों ओर देख कर ]
कैसे मिज़ाज हैं?
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