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एकच्छत्रामनुल्लंघित शासनो महापद्म. पृथ्वी भोक्ष्यते २२ तस्याप्यष्टौ सुता. सुमाल्यादय भवितार. २३ तस्य महापद्मस्थानु पृथिवी भोक्ष्यन्ति २४ महापद्मपुत्राश्चैकैकः वर्षशतमवनीपतयोभवष्यन्ति २५ ततश्च नव चैतान्नन्दान् कौटिल्यो ब्राह्मण समुद्धरिष्यति २६ तेषामभावे मौर्य्य पृथिवी भोक्ष्यन्ति २७ कौटिल्य एव चन्द्रगुप्तमुपन्न राज्येऽभिषेक्ष्यति २८

इससे यह मालूम होता है कि महानन्द के पुत्र महापद्म ने—जो शूद्राजात था—अपने पिता के बाद राज्य किया और उसके बाद सुमाल्य आदि आठ लड़कों ने राज्य किया और इन सब ने मिलकर महानन्द के बाद १०० वर्ष राज्य किया। इनके बाद चन्द्रगुप्त को राज्य मिला।

अब यह देखना चाहिए कि चन्द्रगुप्त को जो लोग महानन्द का पुत्र बताते हैं, उन्हें कितना भ्रम है, क्योंकि उन लोगों ने लिखा है कि—"महानन्द को मार कर चन्द्रगुप्त ने राज्य किया।" पर ऊपर लिखी हुई वंशावली से यह प्रकट हो जाता है कि महानन्द के बाद १०० वर्ष तक महापद्म और उसके लड़कों ने राज्य किया। तब चन्द्रगुप्त की कितनी आयु मानी जाय कि महानन्द के बाद महापद्मादि के १०० वर्ष राज्य कर लेने पर भी उसने २४ वर्ष शासन किया?

यह एक विलक्षण बात होगी यदि "नन्दान्त क्षत्रियकुलम्" के अनुसार शूद्राजात महापद्म और उसके लड़के तो क्षत्रिय मान लिए जायँ और—"अत पर शूद्रा पृथिवी भोक्ष्यन्ति" के अनुसार शूद्रता चन्द्रगुप्त से आरम्भ की जाय। महानन्द को जब शूद्रा से एक ही लड़का महापद्म था, तब दूसरा चन्द्रगुप्त कहाँ से आया? पुराणों में चन्द्रगुप्त को कहीं भी महानन्द का पुत्र नहीं लिखा है। यदि सचमुच अन्तिम नन्द ही का नाम ग्रीकों ने Zandrames रक्खा था, तो अवश्य ही हम कहेंगे कि विष्णु-पुराण की महापद्म वाली कथा ठीक ग्रीकों से मिल जाती है।

यह अनुमान होता है कि महापद्मवाली कथा, पीछे से बौद्धद्वेषी लोगों के द्वारा चन्द्रगुप्त की कथा में जोड़ी गई है, क्योंकि उसी का पौत्र अशोक बुद्ध-धर्म का प्रधान प्रचारक था।