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चन्द्रकान्ता सन्तति
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इन्द्र० ! खैर यह तमाशा भी जरूर ही देखने लायक होगा । शौरत० } अगर वन पद्धा तो इस वादे के बीच में भी एक दो दफे श्राकर तुम्हारी सुध ले जाऊँगी । इन्द्र० । जहाँ तक हो सके जरूर अनः । इसके बाद वह काली औरत चली गई और इन्द्रजीतसिंह अपने कमरे में ग्रा कर सो रहे ।। | पाठक समझते होंगे कि इम झाली औरत या इन्द्रजीतसिंह ने जो कुछ क्रिया या कहा सुना सो किसी को मालूम नहीं हुआ, मगर नहीं, यह मेट उसी वक्त खुल गया और काली औरत के काम में बाधा डालने वाला भी कोई पैदा हो गया बल्कि उभने इस वक्त से छिपे छिपे अपनी कारवाई भी शुरू कर दी जिसका हाल माधवी तक को मालूम न हो सका। पन्द्रहवां बयान अब इस जगह थोड़ा लि १५ रोज्य का श्री साथ ही इसके माधवी का भी लिए देना जरूरी है। क्रिश्योरी की माँ मृत् शिवदत्त की रानी दो बहनें थी, एक जिसका नाम कविती ! शिवदत्त के साथ ब्याही थे, और दूसरी मायावती गयो ३. चन्द्रदत्त से व्या थी । इमी मायावती की लडकी यह माधवी थे जिराय{ हाल हम ऊपर लिख गाये हैं । मधमा यो दो वर्ष १ छोड कर उसकी माँ मर गई थी, मगर भाधयी या बाप चन्द्रदत्त होशियार होने पर माधवी को गद्दी देकर मरा । | अव ग्राप ममझ गए इगि कि माधवी श्री किशोरी दोनों श्रापूस में म पनि यी । | धधी का बाप नन्द्रत बहुत ही शौकीन Jौर ऐयाश श्रादमी था । अपनी गन का जान में यादी मानता या, सास राजधानी गयाजी छह