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चौथा हिस्सा
 

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। चौथा हिस्सा कर चारो तरफ देखने लगी। उसकी निगाह एक कटे हुए साख के पैर पर पड़ी जिसके पत्ते सूख कर गिर चुके थे। यह उस पेड़ के पास जाकर खड़ी हो गई और इस तरह चारो तरफ देखने लगी जैसे कोई निशान हूँढती हो । उस जगह की जमीन वहुत पथरीली और ऊँची नीच थी । लगभग पचास राज की दूरी पर एक पत्थर का ढेर नजर या जो आदमी के हाथ का बनाया हुआ। मालूम होता या । वह उसे पत्थर के देर के पास गई और दम लेने या सुस्ताने के लिए बैठ गई। नानक ने अपना कमरबन्द खोला और एक पत्थर की चट्टान झाड़ कर उसे बिछा दिया, रामभोली उसी पर जा बैठी और नानक को अपने पास बैठने का इशारा किया । । ये दोनों आदमी अभी सुस्ताये भी न थे, चलने की मेहनत से जो पसीना चदन में आ चुका था वह इन्वने भी न पाया था, कि सामने से एक सार सुरखे पोशाक पहिरे इन्हीं दोनों की तरफ आता हुश्रा दिखाई १r पास आने से मालूम हुआ कि यह नौजवान औरत है जो बड़े छठ के साथ इवें लगाये मर्दो की तरह घोड़े पर बैठी बहादुरी का नमूना दिखा रही है । वह रामभोली के पास आ कर खड़ी हो गई और उस पर एक भेद वाली नजर डाल पर हँसी । रामभोली ने भो उसकी हँसी को जवाब नुस्रा कर दिया और कनखियों से नानक की तरफ इशारी किया ! उस शौरत ने रामभोळी अपने पास बुलाया और जब वह धो के पास न कर खड़ी हो गई तो आप धोडे से नीचे उतर पड़ा। कमर से एक छोटा सा वेटु खोल एक चीठी और एॐ श्रगूठी निपाली जिस पर सुर्ख नगीना बड़ा हुआ था और रामभोली के हाथ में रख दिया । | समभोली का चेरा गवाही दे रहा था कि वह इस अंगूठी को पाकर इद्द से ज्यादे खुश हुई । राममोली ने इजत देने के ढंग पर उस अंगूठी मी मिर से लगाया और इसके बाद अपनी अंगुली में पहिर लिया, चीठी