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चन्द्रकान्ता सन्तति
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चन्द्रकान्त सन्तति की जर्मन को अच्छी तरह टटोलना शुरू किया ! थोड़ी ही देर में एक | खटके की आवाज अाई र एक छोटा सा पत्थर का टुकड़ा जो शायद • कमानी के जोर पर लगा हुआ था दवांजे की तरह खुल कर अलग हो गया । ये तीनों अदमी उसके अन्दर घुसे और उस पुत्थर के टुकड़े को मी तरह बन्ट कर आगे बढ़े ! अब ये तीनों आदमी एक मुरग में थे जो बहुत ही तग ऋौर ल थी थी । भैरोसिंह ने अपने बटुए में से एक मोमबत्ती निकाल कर जलाई और चारों तरप, अच्छी तरह निगह करने बाद अागे बढ़े } थोई ही देर में यह सुरग ख़तम हो गई और थे तं नो एक भारी दालान में पहुचे ! इस दालान की छत बहुत ऊची थी और उसमें कडयों के सहारे कई जखीरे लटक रही थीं। इस दालान के दूसरी तरफ एक गौर द्वाजा था जिनमें से हो कर ये तीनों एक कोठरी में पनुनै । इस कोटी के नीचे एक तग्वाना था जिसमें उतरने के लिए रागमर्मर की सीढ़िया बनी हुई थी । ये तीनों नीचे उतर गये । अब एक बड़े भारी घण्टे के श्रेजने की आवाज इन तोना के कानों में पर जिसे सुन में कुछ देर के लिये म गए ।'माम हुआ कि इस तहखाने वाली कोठरी के पुराल में कोई ग़ौर मकान हैं जिनमें घण्टा बज रहा है । इन तीनों को वा और भी कई श्रादमियों के मौजूट होने का गुमान हुय ।। | इन तदखाने में भी दुसरी तरफ निकल जाने के लिए एक दवजा था जनके पास पक्ष कर भैरोसिंह ने मोमबत्त बुझा दी और धीरे से देवजा खौल उस तरफ झ क । एक वः सनि बारहद नजर पड़ी जिसके जम्भे गगमर्मर के थे । इस बार में दो मशाल जल रहे थे जिनकी रोशनी से चहा की देर एक चीज माफ मालूम होती थी और इसी में वह दन पन्द्रह प्रदर्ग; भी दिग्पाई प३ जिनमें fस्य से मुॐ वध हुई तोन औरतें भी दुई । मत परिवाना कि इन तीन ग्ते में एक किगा। हैं न देने पथ पीट की तफ, कप र बचे हु । मौर व मिर ने कि? -- । : । १; if ; ; भी चंद ।