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चन्द्रकान्ता सन्तति
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चन्द्रकान्ता सन्तति होने के खौफ से भागे तो शाया मगर लोग जरूर कहेंगे कि शेरसिंह ने धोखा दिया। | कमला० । जव श्राप दिल से रोहतासगढ की बुराई नहीं करते तो लोगों के कहने से क्या होता है, वे लोग आपकी बुराई क्योंकर दिख सकते हैं ? | शेर० } हा ठीक है, खैर इन बातों को जाने दो, हा कुन्दन चार को लाली ने खूब ही छकाया, अगर में लाली का एक भेद न जानता होता श्रौर कुन्दन को न कह देता तो लाली कुन्दन को जरूर अयद कर देती । कुन्दन ने भी भूल की, अगर वह अयना सच्चा हाल लाली से कह देती तो बेशक दोनों में दोस्ती हो जाता है। कमला० } कुछ कुयर इन्द्रजतसिंह का भी हाल मालूम हुआ ? शैर० । । मालम है, उन्हें उमी चुडैल ने फसा रक्खा है जो अजायापर में रहती है ।। कमला० । कौन सा अजायबघर १ | शेर० | वही जो तालाब के बीच में बना है और जिसे जड चुनियाद से खोद कर फेंक देने का मैने इरादा किया है, यहा से थोड़ी ही दूर तो है ! कमला• | जो हा मालूम हुआ, उसके बारे में तो बडी बडी विचित्र यातें सुनने में आती है ।। | शेर० 1 बेशक वहा की सभी बातें ताज्जुब से भरी हुई है । अफसोस, न मालूम कितने खूबसूरत और नौजवान बेचारे वहा चेदर्दी के साथ मारे गए होगे ! इतने मै छत के ऊपर किसी के पैर की शाहट मालूम हुई, तीनों का । ध्यान सीढियों पर गया । | मना• ! कोई अाता हैं। | शेर । न तो यह किसी ? आने की उम्मीद न श्री अग होyि अरर । जाग्री ।।