पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 6.djvu/७३

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इस समय ऐसे ढंग से यहाँ आये हो ? दयाराम कुशल से तो है?"

मेरी सूरत देखते ही उन्होंने दयाराम का कुशल पूछा, इससे मुझे बड़ा ही ताज्जुब हुआ । खैर, मैं उनके पास बैठ गया और जो कुछ मामला हुआ था, साफ-साफ कह सुनाया।

मैं इस किस्से को मुख्तसिर ही में बयान करूँगा। रणधीरसिंहजी इस हाल को सुनकर बहुत ही दुःखी और उदास हुए । बहुत कुछ बातचीत करने के बाद अन्त में बोले,"दयाराम मेरा एक ही वारिस है और तुम्हारा दिली दोस्त है, ऐसी अवस्था में उसके लिए क्या करना चाहिए, सो तुम ही सोच लो ! मैं क्या कहूँ ! मैं तो समझ चुका था कि दुश्मनों की तरफ से अब निश्चिन्त हुआ, मगर नहीं।"

इतना कहकर वे कपड़े से अपना मुंह ढांप कर रोने लगे । मैं उन्हें बहुत-कुछ समझा बुझाकर विदां हुआ और अपने घर चला आया । अपनी स्त्री से मिलकर सब हाल कहने और समझाने-बुझाने के बाद मैं अपने शागिों को साथ लेकर घर से बाहर निकला। बस यहीं से मेरी बदकिस्मती का जमाना शुरू हुआ।

इतना कहकर भूतनाथ अटक गया और सिर नीचा करके कुछ सोचने लगा।सब कोई बेचैनी के साथ उसकी तरफ देख रहे थे और भूतनाथ की अवस्था से मालूम होता था कि वह इस बात को सोच रहा है कि मैं अपना किस्सा आगे बयान करूं या नहीं। उसी समय दो आदमी और कमरे के अन्दर चले आये और महाराज को सलाम करके खड़े हो गये । इनकी सूरत देखते ही भूतनाथ के चेहरे का रंग उड़ गया और वह डरे हुए ढंग से उन दोनों की तरफ देखने लगा।

दोनों आदमी, जो अभी-अभी कमरे में आये, वे ही थे जिन्होंने भूतनाथ को अपना नाम 'दलीपशाह' बतलाया था। इन्द्रदेव की आज्ञा पाकर वे दोनों भूतनाथ के पास ही बैठ गये।


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प्रेमी पाठक भूले न होंगे कि दो आदमियों ने भूतनाथ से अपना नाम दलीपशाह बतलाया, जिनमें से एक को पहला दलीप और दूसरे को दूसरा दलीप समझना चाहिए।

भूतनाथ तो पहले ही सोच में पड़ गया था कि अपना हाल आगे बयान करे या नहीं, अब दोनों दलीपशाह को देखकर वह और भी घबड़ा गया। ऐयार लोग समझ रहे थे कि अब उसमें बात करने की भी ताकत नहीं रही। उसी समय इन्द्रदेव ने भूतनाथ से कहा, "क्यों भूतनाथ, चुप क्यों हो गये ? कहो हाँ, तब आगे क्या हुआ ?"

इसका जवाब भूतनाथ ने कुछ न दिया और सिर झुकाकर जमीन की तरफ देखने लगा। उस समय पहले दलीपशाह ने हाथ जोड़ कर महाराज की तरफ देखा और कहा,"कृपानाथ, भूतनाथ को अपना हाल बयान करने में बड़ा कष्ट हो रहा है, और वास्तव में बात भी ऐसी ही है। कोई भला आदमी अपनी उन बातों को जिन्हें वह ऐब समझता है,