पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 6.djvu/२०५

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भूतनाथ को भी गिरफ्तार कर लूंगा !

दारोगा--तो अब देर क्यों करते हो ?

गिरिजाकुमार--कुछ नहीं, कल मेरे साथ चलने के लिए बिहारीसिंह तैयार हो जायें।

बिहारीसिंह--अच्छी बात है । यह बताओ कि किस सुरत-शक्ल में सफर किया जायगा?

गिरिजाकुमार--मैं तो एक ज्योतिषी की सूरत बनूंगा, और आप...

बिहारीसिंह--मैं वैद्य बनूंगा।

गिरिजाकुमार--बस-बस, यही ठीक है, मगर एक बात मैं अभी से कहे देता हूँ कि दो घण्टे के लिए मैं गुरुजी से मिलने जरूर जाऊँगा।

बिहारीसिंह--क्या हर्ज है, अगर कहोगे तो मैं भी तुम्हारे साथ चला चलूंगा या कहीं अटक जाऊँगा।

"मुख्तसिर यह है कि दूसरे दिन दोनों ऐयार ज्योतिषी और वैद्य बने हुए जमानिया के बाहर निकले ।

“मजा तो यह है कि गिरिजाकुमार ने चालाकी से उस समय तक किसी को अपनी असली सूरत देखने नहीं दी। जब तक वहाँ रहा बिहारीसिंह ही बना रहा, जब वाहर निकला तो ज्योतिषी बन कर निकला। खैर दारोगा का तो कहना ही क्या है, खुद बिहारी सिंह और हरनामसिंह व्यर्थ ही ऐयार कहलाये, असल में कोई अच्छा काम इन दोनों के हाथ से होते देखा-सुना नहीं गया।

"अब हम थोड़ा-सा हाल अर्जुनसिंह का बयान करते हैं, जो गिरिजाकुमार व पता लगाने लिए हमसे जुदा होकर जमानिया गये थे। जमानिया में सेठ रामसरन नामक एक गलाजन अर्जुनसिंह का दोस्त था, अतः ये सूरत बदले हुए सीधे उसी के मकान पर चले गये और मौका पाकर उससे मुलाकात करने के बाद सब हाल बयान किया और उससे मदद चाही। पहले तो वह दारोगा और मायारानी के खिलाफ कार्रवाई करने के नाम से बहुत डरा, मगर अर्जुनसिंह ने उसे बहुत भरोसा दिलाया और कहा कि जो कुछ हम करेंगे, वह ऐसे ढंग से करेंगे कि तुम पर किसी को किसी तरह का शक न होगा, इसके अतिरिक्त हम तुमसे और किसी तरह की मदद नहीं चाहते केवल एक गुप्त कोठरी ऐसे ढंग की चाहते हैं जिसमें अगर हम किसी को गिरफ्तार करके यहाँ लावें तो दो-चार दिन के लिए कैद करके रख सके और यह काम भी ऐसी खूबी के साथ किया जायगा कि कैदी को इस बात का गुमान भी न होगा कि वह कहाँ और किसके मकान में कैद किया गया था।

"खैर, रामसरन ने किसी तरह अर्जुनसिंह की बात मंजूर कर ली और तब अर्जुनसिंह उसके मकान से बाहर निकल कर हरनामसिंह को फंसाने की फिक्र करने लगे क्योंकि इन्होंने निश्चय कर लिया था कि बिना किसी को फंसाये हुए गिरिजाकुमार का पता लगाना कठिन ही नहीं, बल्कि असम्भव है।

"मुख्तसिर यह कि दो दिन की कोशिश में अर्जुन सिंह ने भुलावा दे हरनामसिंह