पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 6.djvu/२००

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भूतनाथ को सहायता करते हैं तो बेशक दुश्मनी हो जायगी, यह मैं खुले दिल से कहे देता हूँ चाहे आप मुझे बेवकूफ समझें या नालायक ।

दारोगा--नहीं-नहीं शिवशंकर, हम लोग भूतनाथ की मदद किसी तरह नहीं कर सकते, हम तो उसे खुद ही ढूंढ़ रहे हैं, मगर उस कम्बखत का कहीं पता ही नहीं लगता। ताज्जुब नहीं कि वास्तव में मर ही गया हो।

गिरिजाकुमार-—(सिर हिलाकर) कदापि नहीं, अभी महीने भर से ज्यादा न हुआ होगा कि मैंने खुद अपनी आँखों से उसे देखा था, मगर उस समय मैं ऐसी अवस्था में था कि कुछ न कर सका । खैर, कम्बख्त जाता कहाँ है, मुझे उसके दो-चार ठिकाने ऐसे मालूम हैं कि जिसके सबब से एक न एक दिन उसे जरूर गिरफ्तार कर लूंगा।

दारोगा—-(ताज्जुब और खुशी से) क्या तुमने उसे खुद अपनी आँखों से देखा था और उसके दो-चार ठिकाने तुम्हें मालूम हैं ?

गिरिजाकुमार–बेशक ?

दारोगा--क्या उन ठिकानों का पता मुझे बता सकते हो?

गिरिजाकुमार--नहीं।

दारोगा--सो क्यों?

गिरिजाकुमार--गुरुजी को मुझे जो कुछ ऐयारी सिखानी थी, सिखा चुके । मैं गुरुजी से वादा कर चुका हूँ कि अब आपकी इच्छानुसार गुरुदक्षिणा में भूतनाथ को गिरफ्तार करके आपके हवाले करूंगा और जब तक ऐसा न करूँगा, अपने घर कदापि न जाऊँगा । ऐसी अवस्था में अगर मैं भूतनाथ का कुछ पता आपको बता दूं तो मानो अपने पैर में आप ही कुल्हाड़ी मारूंगा, क्योंकि आप अमीर और शक्तिसम्पन्न हैं, बनिस्बत मुझ गरीब के आप उसे बहुत जल्द गिरफ्तार कर सकते हैं, अब अगर ऐसा हुआ और वह गया तो मैं सूखा ही रह जाऊँगा और गुरु-दक्षिणा न दे सकने के कारण अपने घर भी न जा सकूँगा।

दारोगा-—(हंसकर) मगर शिवशंकर, तुम बड़े ही सीधे आदमी हो और बहुत ही साफ-साफ कह देते हो, ऐयारों को ऐसा न करना चाहिए ।

गिरिजाकुमार-नहीं साहब, आपसे साफ-साफ कह देने में कोई हर्ज नहीं है।क्योंकि आप हमारे दुश्मन नहीं हैं, दूसरे यह कि अभी तक मुझे ऐयार की पदवी भी नहीं मिली, जब गुरुदक्षिणा देकर ऐयार की पदवी पा जाऊँगा तो ऐयारों की सी चाल चलूंगा, अभी तो मैं एक गरीब छोकरा हूँ।

दारोगा--नहीं, तुम बहुत अच्छे आदमी हो। हम तुमसे खुश हैं । (बिहारीसिंह की तरफ देख के) इस बेचारे के हाथ-पैर खोल दो!(गिरिजाकुमार से) मगर तुम भूतनाथ का जो कुछ पता-ठिकाना जानते हो हमें बता दो, हम तुमसे वादा करते हैं कि भूत- नाथ को गिरफ्तार करके अपना काम भी निकाल लेंगे और तुम्हारे सिर से गुरु-दक्षिणा का बोझ भी उतरवा देंगे।

गिरिजाकुमार--(मुंह बिचका कर और सिर हिलाकर) जी नहीं। हाँ, अगर इसके साथ आप और भी दो-तीन बातों का वादा करें, तो मैं बेशक आपकी मदद कर आपके हाथ