"किशोरी की इस आखिरी बात से मेरे कलेजे पर एक चोट-सी लगी और मैंने सोचा कि जो कुछ यह कहती हैं, बहुत ठीक है, ऐसा होना ही चाहिए । आखिर मैंने राजा गोपालसिंह से यह सब हाल कहा और उन्हें अपनी तरफ से भी बहुत-कुछ सम- झाया जिसका नतीजा यह निकला कि वे दिलोजान से इस काम के लिए तैयार हो गये। जब वे खुद तैयार हो गये तो फिर क्या था ? सब काम खूबी के साथ होने लगा।
"राजा गोपालसिंह ने इस विषय में कमलिनीजी से कहा और इन्हें बहुत सम- झाया, मगर ये राजी न हुई और बोली कि 'आपकी आज्ञानुसार मैं कुमार से व्याह कर लेने के लिए तैयार हूँ, मगर यह नहीं हो सकता कि किशोरी से पहले ही अपनी शादी करके उसका हक मार दूं । हाँ, किशोरी की शादी हो जाने के बाद जो कुछ आप आज्ञा देंगे मैं करूंगी।" यह जवाब सुनकर गोपालसिंहजी ने फिर कमलिनी को समझाया और कहा कि 'अगर तुम किशोरी की इच्छा पूरी न करोगी तो वह अपनी जान दे देगी, फिर तुम ही सोच लो कि उसके मर जाने पर कुमार की क्या हालत होगी और तुम्हारी इस जिद का क्या नतीजा निकलेगा?'
"गोपालसिंहजी की इस बात ने इन्हें (कमलिनी की तरफ बता कर) लाजवाब कर दिया और ये लाचार हो शादी करने पर राजी हो गईं। तब राजा साहब ने भैरों- सिंह को मिलाया और ये भी इस बात पर राजी हो गये। इसके बाद यह सोचा गया कि कुमार इस बात को स्वीकार न करेंगे अतः उन्हें धोखा देकर जहाँ तक जल्द हो तिलिस्म के अन्दर ही कमलिनी के साथ उनकी शादी कर देनी चाहिए, क्योंकि तिलिस्म के बाहर हो जाने पर हम लोग स्वाधीन न रहेंगे और अगर बड़े महाराज इस बात को सुनकर अस्वीकार कर देंगे तो फिर हम लोग कुछ भी न कर सकेंगे, इत्यादि ।
"बस यही सबब हुआ कि तिलिस्म के अन्दर आपसे तरह-तरह की चालबाजियाँ खेली गईं और भैरोंसिंह ने भी आप से सब भेद छिपा रक्खा । खुद राजा गोपालसिंहजी तिलिस्म के अन्दर आये और बुड्ढे दारोगा बनकर इस काम में उद्योग करने लगे।"
कुमार--(बात रोक कर ताज्जुब के साथ) क्या खुद गोपालसिंह बुड्ढे दारोगा बने थे?
कमला--जी हां, वह बुड्ढी मैं बनी थी, तथा किशोरी और इन्दिरा आदि ने लड़कों का रूप धरा था।
कमला--(हँसकर) यह बुड्ढी भैरोंसिंह की जोरू बनी थी। अब इस बात को सच कर दिखाना चाहिए, अर्थात् इस बुड्ढी को भैरोंसिंह के गले मढ़ना चाहिए।
कुमार--जरूर ! (कमला से) तब तो मैं समझता हूँ कि 'मकरन्द' इत्यादि के बारे में जो भैरोंसिंह ने बयान किया था, वह सब झूठ था?
कमलिनी--हां, बेशक उसमें बारह आने से ज्यादा झूठ था।
कुमार--खैर, तब क्या हुआ ? तुभ आगे बयान करो।
कमला ने फिर इस तरह बयान करना शुरू किया--
"भैरोंसिंह जान-बूझ कर इसलिए पागल बनाकर आपको दिखाये गये थे जिसमें एक तो आप धोखे में पड़ जायँ और समझें कि हमारे विपक्षी लोग भी वहाँ रहते हैं, दूसरे