पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 5.djvu/९९

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इस समय इन्द्रानी और आनन्दी यद्यपि सादी पोशाक में थीं, मगर किसी तरह की सजावट की मुहताज न रहने वाली उनकी खूबसूरती देखने वाले का दिल, चाहे वह परले सिरे का त्यागी क्यों न हो, अपनी तरफ खींचे बिना नहीं रह सकती थी। नुकीले हों से ज्यादा काम करने वाली उनकी बड़ी-बड़ी आँखों में मारने और जिलाने वाली दोनों तरह की शक्तियाँ मौजूद थीं। गालों पर इत्तिफाक से आ पड़ी हुई धुँघराली लटें शान्त बैठे हुए मन को भी चाबुक लगा कर अपनी तरफ मुतवज्जह कर रही थीं। सूधेपन और नेकचलनी का पता देने वाली सीधी और पतली नाक तो जादू का काम कर रही थी। मगर उनके खूबसूरत, पतले और लाल होंठों को हिलते देखने और उनमें से तुले हुए तथा मन लुभाने वाले शब्दों के निकलने की लालसा से दोनों कुमारों को छुटकारा नहीं मिल सकता था और उनकी सुराहीदार गर्दनों पर गर्दन देने वालों की कमी नहीं हो सकती थी। केवल इतना ही नहीं, उनके सुन्दर सुडौल और उचित आकार वाले अंगों की छटा बड़े-बड़े कवियों और चित्रकारों को भी चक्कर में डाल कर लज्जित कर सकती थी।

कुँअर इन्द्रजीतसिंह और आनन्दसिंह के आग्रह से वे दोनों उनके सामने बैठ गई मगर अदब का पल्ला लिए और सिर नीचा किए हुए।

इन्द्रानी––इस जल्दी और थोड़े समय में हम लोग आपकी खातिरदारी और मेहमानी का इन्तजाम कुछ भी न कर सकीं। मगर मुझे आशा है कि कुछ देर के बाद इस कसूर की माफी का इन्तजाम अवश्य कर सकूँगी।

इन्द्रजीतसिंह––इतना क्या कम है कि मुझ जैसे नाचीज मुसाफिर के साथ यहाँ की रानी होकर तुमने ऐसा अच्छा बर्ताव किया। अब आशा है कि जिस तरह तुमने अपने बर्ताव से मुझे प्रसन्न किया है, उसी तरह मेरे सवालों का जवाब देकर मेरा स देह भी दूर करोगी।

इन्द्रानी––आप जो कुछ पूछना चाहते हों पूछे, मुझे जवाब देने में किसी तरह का उज्र न होगा।

इन्द्रजीतसिंह––किशोरी, कामिनी, कमलिनी और लाड़िली वगैरह इस तिलिस्म के अन्दर आई हैं?

इन्द्रानी––जी हाँ, आई तो हैं!

इन्द्रजीतसिंह––क्या तुम जानती हो कि इस समय वे सब कहाँ हैं?

इन्द्रानी––जी हाँ, मैं अच्छी तरह जानती हूँ। इस बाग के पीछे सटा हुआ एक और तिलिस्मी बाग है, सभी को लिए हुए कमलिनी उसी में चली गई हैं और उसी में रहती हैं!

इन्द्रजीतसिंह––क्या हम लोगों को तुम उनके पास पहुँचा सकती हो?

इन्द्रानी––जी नहीं।

इन्द्रजीतसिंह––क्यों?

इन्द्रानी––वह बाग एक दूसरी औरत के अधीन है, जिससे बढ़ कर मेरी दुश्मन इस दुनिया में कोई नहीं।