पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 5.djvu/७६

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
76
 

और मैं भी एक ऐयार हूँ।

इतना कह कर नानक ने अपना चेहरा साफ कर डाला और दीवान साहब से कहा, "कहिए, अब क्या हुक्म होता है?"

दीवान––अब तुम्हारी तलाशी ली जायगी।

नानक––तलाशी देने में भी मुझे कुछ उज्र न होगा, मगर मुझे पहले उन चीजों की फेहरिस्त मिल जानी चाहिए जो चोरी गई हैं। कहीं ऐसा न हो कि मेरी कुछ चीजों को ये नकली सौदागर साहब अपनी ही चीज बतावें, उस समय ताज्जुब नहीं कि मैं अपनी ही चीजों का चोर बन जाऊँ।

दीवान––चीजों की फेहरिस्त जमादार के पास मौजूद है, तुम्हारी चीजों का तुम्हें कोई चोर नहीं बना सकता। हाँ, तुमने इन्हें नकली

नानक––इसलिए कि ये दोनों भी मेरी तरह से ऐयार हैं और इसके मालिक तारासिंह को मैंने गिरफ्तार कर लिया है, दुश्मनी से नहीं बल्कि आपस की दिल्लगी से, क्योंकि हम दोनों एक ही मालिक अर्थात् राजा वीरेन्द्रसिंह के ऐयार हैं, धोखा देने की शर्त लग गई थी।

राजा वीरेन्द्रसिंह का नाम सुनते ही दीवान साहब के कान खड़े हो गए और वे ताज्जुब के साथ तारासिंह के दोनों शागिर्दो की तरफ देखने लगे। तारासिंह एक शागिर्द ने कहा, "इसने तो झूठ बोलने पर कमर बाँध रखी है! यह चाहे राजा वीरेन्द्रसिंह का ऐयार हो, मगर हम लोगों को उनसे कोई सरोकार नहीं है। हम लोग न तो ऐयार हैं और न हम लोगों का कोई मालिक ही हमारे साथ था, जिसे इसने गिरफ्तार कर लिया हो। यह तो अपने को ऐयार बताता ही है फिर अगर झूठ बोल कर आपको धोखा देने का उद्योग करे तो ताज्जुब ही क्या है? इसकी झुठाई-सचाई का हाल तो इतने ही से खुल जायगा कि एक तो इसकी तलाशी ले ली जाय, दूसरे इससे ऐयारी की सनद माँगी जाय जो राजा वीरेन्द्रसिंह की तरफ से नियमानुसार इसे मिली होगी।

दीवान––तुम्हारा कहना बहुत ठीक है, ऐयारों के पास उनके मालिक की सनद जरूर हुआ करती है। अगर यह प्रतापी महाराज वीरेन्द्रसिंह का ऐयार होगा तो इसके पास सनद जरूर होगी और तलाशी लेने पर यह भी मालूम हो जायगा कि इसने जिसे गिरफ्तार किया है, वह कौन है। (नानक से) अगर तुम राजा वीरेन्द्रसिंह के ऐयार हो तो उनकी सनद हमको दिखाओ। हाँ, और यह भी बताओ कि अगर तुम ऐयार हो तो इतनी जल्दी गिरफ्तार क्यों हो गए क्योंकि ऐयार लोग जहाँ कब्जे के बाहर हुए तहाँ उनका गिरफ्तार होना कठिन हो जाता है।

नानक––मैं गिरफ्तार कदापि न होता मगर अफसोस, मुझे यह बात बिल्कुल मालूम न थी कि तारासिंह को मेरी पूरी खबर है और वह मेरी तरफ से होशियार है तथा उसने पहले ही से मुझे गिरफ्तार करा देने का बन्दोबस्त कर रखा है।

दीवान––खैर, तुम ऐयारी की सनद दिखाओ।

तानक––(कुछ लाजवाब-सा होकर) सनद मुझे अभी नहीं मिली है।

तारासिंह का शागिर्द––(दीवान से) देखिए, मैं कहता था न कि यह झूठा है!