पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 5.djvu/५१

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नहीं देती तो मैं अपने हाथों का सहारा देने के लिए तैयार हूँ।"

भैरोंसिंह ने बुढ़िया को हाथ का सहारा देकर अपने पास ला बैठाया और आप भी उसी जगह बैठकर बोला, "मेरी प्यारी भोली, देखो ये दो नये आदमी आज यहाँ आये हैं जो मुझे पागल बताते हैं। तू ही बता कि क्या मैं पागल हूँ?"

बुढ़िया––राम-राम, ऐसा भी कभी हो सकता है? मैं अपनी नौजवानी की कसम खाकर कहती हूँ कि तुम्हारे ऐसे बुद्धिमान बुड्ढे को पागल कहने वाला स्वयं पागल है (दोनों कुमारों की तरफ देखकर) ये दोनों उजड्ड यहाँ कैसे आ पहुँचे? क्या किसी ने इन्हें रोका नहीं?

भैरोंसिंह––मैंने इनसे अभी कुछ भी नहीं पूछा कि ये कौन हैं और यहाँ कैसे आ पहुँचे क्योंकि मैं तुम्हारी मुहब्बत में डूबा हुआ तरह-तरह की बातें सोच रहा था। अब तुम आई हो तो जो कुछ पूछना हो स्वयं पूछ लो।

बुढ़िया––(कुमारों से) तुम दोनों कौन हो?

भैरोंसिंह––(कुमारों से) बताओ-बताओ, सोचते क्या हो? आदमी हो, जिन्न हो, भूत हो, प्रेत हो, कौन हो, कहते क्यों नहीं! क्या तुम देखते नहीं कि मेरी नौजवान स्त्री को तुमसे बात करने में कितना कष्ट हो रहा है?

भैरोंसिंह और उस बुढ़िया की बातचीत और अवस्था पर दोनों कुमारों को बड़ा ही आश्चर्य हुआ और कुछ सोचने के बाद इन्द्रजीतसिंह ने भैरोंसिंह से कहा, "अब मुझे निश्चय हो गया कि जरूर तुम्हें किसी ने इस तिलिस्म में ला फँसाया है और कोई ऐसी चीज खिलाई या पिलाई है कि जिससे तुम पागल और कोई हो गए हो, ताज्जुब नहीं कि यह सब बदमाशी इसी बुढ़िया की हो, अब अगर तुम होश में न आओगे तो मैं तुम्हें मार-पीट कर होश में लाऊँगा।" इतना कह कर इन्द्रजीतसिंह भैरोंसिंह की तरफ बढ़े, मगर उसी समय बुढ़िया ने यह कहकर चिल्लाना शुरू किया, "दौड़ियो-दौड़ियो, हाय रे, मारा रे, मारे रे, चोर-चोर, डाकू-डाकू, दौड़ो-दौड़ो, ले गया, ले गया, ले गया!"

बुढ़िया चिल्लाती रही मगर कुमार ने उसकी एक भी न सुनी और भैरोंसिंह का हाथ पकड़ के अपनी तरफ खींच ही लिया, मगर बुढ़िया का चिल्लाना भी व्यर्थ न गया। उसी समय चार-पाँच खूबसूरत लड़के दौड़ते हुए वहाँ आ पहुँचे जिन्होंने दोनों कुमारों को चारों तरफ से घेर लिया। उन लड़कों के गले में छोटी-छोटी झोलियाँ लटक रही थीं और उनमें आटे की तरह की कोई चीज भरी हुई थी। आने के साथ ही इन लड़कों ने अपनी झोली में से वह आटा निकाल कर दोनों कुमारों की तरफ फेंकना शुरू किया।

निसन्देह उस बुकनी में तेज बेहोशी का असर था जिसने दोनों कुमारों को बात की बात में बेहोश कर दिया और दोनों चक्कर खाकर जमीन पर लेट गये, जब आंख खुली तो दोनों ने अपने को एक सजे-सजाये कमरे में फर्श के ऊपर पड़े पाया।