पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 5.djvu/३३

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जो नकाबपोश नीचे आ चुका था, उसने गठरी थाम ली और खोलकर कमन्द खाली कर दी, मगर जिस कम्बल में वह गठरी बँधी थी, उसे इसी के साथ बाँध दिया और ऊपर वाले नकाबपोश ने खींच लिया। थोड़ी देर बाद ही दूसरी गठरी लटकाई गई और नीचे वाले नकाबपोश ने पहले की तरह उसे भी थाम लिया और खोलकर फिर कमन्द के साथ बाँध दिया।

इसी तरह बारी-बारी से सात गठरियाँ नीचे उतारी गयीं, इसके बाद वह नकाबपोश, जो सबसे पहले नीचे उतरा था, उसी कमन्द के सहारे ऊपर चढ़ गया और खिड़की बन्द हो गई।


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जिस समय राजा गोपालसिंह खास बाग के दरवाजे पर पहुँचे, उस समय उनके दीवान साहब भी वहाँ हाजिर थे। नकली रामदीन अर्थात् लीला उनके हवाले कर दी गई। भैरोंसिंह के सवाल करने पर उन्होंने कहा कि "इस लीला ने चार आदमियों को खास बाग के अन्दर पहुँचाया है, मगर हम नहीं कह सकते कि वास्तव में वे कौन थे।" अब राजा साहब और भैरोंसिंह को यह तो मालूम हो गया कि चार आदमी भी इस बाग के अन्दर घुसे हैं जो हमारे दुश्मन ही होंगे, मगर उन्हें उन पाँच सौ फौजी सिपाहियों की शायद ही खबर हो जिन्हें मायारानी ने गुप्त रीति से बाग के अन्दर कर लिया था। पहली दफे जब मायारानी को गोपालसिंह ने छकाया था, तब वह खुले तौर पर बाग में रहती थी, मगर अबकी दफे तो वह उस भूलभूलैया बाग में जाकर ऐसा गायब हुई है कि उसका पता लगाना भी कठिन होगा। दीवान साहब ने पूछा भी कि "अगर हुक्म हो तो बाग में तलाशी ली जाय और उन आदमियों का पता लगाया जाय जिन्हें लीला ने इस बाग में पहुँचाया है।" मगर राजा साहब ने इसके जवाब में सिर हिलाकर जाहिर कर दिया कि यह बात उन्हें स्वीकार नहीं है।

कुछ दिन रहते ही राजा गोपालसिंह बाग के दूसरे दर्जे में केवल भैरोंसिंह को साथ लेकर गये और बाग के अन्दर चारों तरफ सन्नाटा पाया। इस समय भैरोंसिंह और राजा गोपालसिंह दोनों के ही हाथ में तिलिस्मी खंजर मौजूद थे।

खास बाग के दूसरे दर्जे में दो कुएँ थे जिनमें पानी बहुत ज्यादा रहता था, यहाँ तक कि इस बाग के पेड़-पत्तों को सींचने और छिड़काव का काम इन दोनों में से किसी एक कुएँ ही से चल सकता था, मगर सींचने के समय दूर और नजदीक का खयाल करके या शायद और किसी सबब से बनवाने वाले ने दो बड़े-बड़े जंगी कुएँ बनवाये थे, परन्तु ये दोनों कुएँ भी कारीगरी और ऐयारी से खाली न थे।

भैरोंसिंह और गोपालसिंह छिपते और घूमते हुए पूरब की तरफ वाले कुएँ पर पहुँचे जिसका घेरा बहुत बड़ा था और नीचे उतरने तथा चढ़ने के लिए कुएँ की दीवार