नकाबपोश––हाँ, और यह बात तुम्हारे ही सबब से पैदा हुई थी जिसके सबूत में मैं यह पुर्जा पेश करता हूँ।
इतना कहकर नकाबपोश ने अपनी जेब में से एक पुर्जा निकालकर पढ़ा और फिर राजा गोपालसिंह के सामने फेंक दिया। उसमें लिखा हुआ था––
"प्यारी नन्हों,
अब तो उन्होंने अपना नाम भी बदल दिया। तुम्हें पता लगाना हो तो 'भूतनाथ' के नाम से पता लगा लेना और मुझे भी चाँद वाले दिन गौहर के यहाँ देखना जो शेर की लड़की है।
––करौंदा की छैये-छये।"
इस चिट्ठी ने भूतनाथ को परेशान कर दिया और उसने खड़े होकर कहा, "बस बस, मुझे आपके कहने का विश्वास हो गया और बहुत-सी पुरानी बातों का पता भी लग गया।"
नकाबपोश––मैं इस बारे में और भी बहुत-सी बातें कहूँगा, मगर अभी नहीं। जब समय तथा बातों का सिलसिला आ जायगा। मैं यह तो ठीक-ठीक नहीं कह सकता कि तुम्हारी स्त्री तुमसे दुश्मनी रखती है या वह इस बात को जानती है कि नन्हों और बेगम की मुहब्बत है, मगर इतना जरूर कहूँगा कि तुमने अपनी स्त्री को गौहर के यहाँ जाने की इजाजत देकर अपने पैर में आप कुल्हाड़ी मार ली। मुझे इन बातों के कहने की कोई जरूरत नहीं थी, मगर इस खयाल से बात निकल आई कि तुम भी अपनी गठरी के चोरी जाने का सबब जान जाओ। (तेजसिंह की तरफ देखकर) औरों को क्या कहा जाय, भूतनाथ ऐसे चालाक और ऐयार लोग भी औरतों के मामले में चूक ही जाते हैं।
इसी समय बेगम उद्योग करके उठ खड़ी हुई और महाराज की तरफ देखकर जोर से बोली, "दोहाई महाराज की! इस नकाबपोश का यह कहना कि नन्हों नाम की किसी औरत से मुझसे दोस्ती है। बिल्कुल झूठ है। इसका कोई सबूत नकाबपोश साहब नहीं दे सकते। मैं तो जानती भी नहीं कि नन्हों किस चिड़िया का नाम है। असल तो यह है कि यह केवल भूतनाथ की मदद करने को आये हैं और झूठ-सच बोलकर अपना काम निकालना चाहते हैं। अगर सरकार उस सन्दूकड़ी को खोलें तो सारी कलई खुल जाय।" बेगम की बात सुनकर दोनों नकाबपोश गुस्से में आ गये। दूसरा नकाबपोश जो बैठा था, उठ खड़ा हुआ और अपने चेहरे की एक झलक लापरवाही के साथ बेगम को दिखाकर क्रोध-भरी आवाज में बोला, "क्या ये सब बातें झूठ हैं?"
इस दूसरे नकाबपोश ने अपनी सुरत दिखाने की नीयत से अपनी नकाब को दम भर के लिए इस तरह हटाया जिससे लोगों को गुमान हो सकता था कि धोखे में नकाब खसक गई, मगर होशियार और ऐयार लोग समझ गये कि इसने जानबुझ के अपनी सूरत दिखाई है। यद्यपि इसके चेहरे पर केवल तेजसिंह, देवीसिंह, गोपालसिंह, भूतनाथ, जयपाल और बेगम की निगाह पड़ी थी, मगर इस दूसरे नकाबपोश के चेहरे पर निगाह पड़ते ही बेगम यह कहकर चिल्ला उठी––आह, तू कहाँ! क्या नन्हों भी गई!"