पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 5.djvu/१७३

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दी हुई चीजें उसके सामने रख कर कहा, "अच्छी बात है, यदि आप मुझसे ज्यादा जानते हैं तो आप ही इस गुत्थी को साफ करें।"

नकाबपोश––अच्छा होता यदि इन चीजों को पहले बड़े महाराज और जीतसिंह भी देख लेते।

गोपालसिंह––मैं भी यही चाहता हूँ।

इतना कह कर राजा गोपालसिंह ने उन चीजों को हाथ में उठा लिया और तेजसिंह की तरफ देखा। तेजसिंह का इशारा पाकर देवीसिंह राजा गोपालसिंह के पास गए और वे चीजें लेकर जीतसिंह के हाथ में दे आए।

महाराज सुरेन्द्रसिंह, जीतसिंह, राजा वीरेन्द्रसिंह और तेजसिंह ने भी उन चीजों को अच्छी तरह देखा और इसके बाद महाराज की आज्ञानुसार जीतसिंह ने कहा, "महाराज हुक्म देते हैं कि आज की कार्रवाई यहीं खत्म की जाय और इसके बाद की कार्रवाई कल दरबारे-आम में हो और इन पुर्जो का मतलब भी कल ही के दरबार में नकाबपोश साहब बयान करें।"

इस बात को सभी ने पसन्द किया, खासकर दोनों नकाबपोशों की और भूतनाथ की भी यही इच्छा थी, अस्तु, दरबार बर्खास्त हुआ और कल के लिए दरबार-आम की मुनादी की गई।


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आज के दरवारे-आम की बैठक भी उसी ढंग की है जैसा कि हम दरबारे-आम के बारे में बयान कर चुके हैं, अगर फर्क है तो सिर्फ इतना ही कि दरबारे-खास में बैठनेवाले लोगों के बाद उन रईसों-अमीरों और अफसरों तथा ऐयारों को दर्जे-बदर्जे जगह मिली है जो आज के दरबार में शरीक हुए हैं और आदमी भी बहुत ज्यादा इकट्ठे हुए मगर आवाज के खयाल से पूरा-पूरा सन्नाटा छाया हुआ है। शोरगुल की तो दूर रही किसी की मजाल नहीं कि बिना मर्जी के चुटकी भी बजा सके। इसके अतिरिक्त नंगी तलवार लिए रुआबदार फौजी सिपाहियों के पहरे का इन्तजाम भी बहुत ही मुनासिब और खूबसूरती के साथ किया गया है और बाहर के आये हुए मेहमान भी बड़ी दिलचस्पी के साथ बलभद्रसिंह और भूतनाथ का मुकदमा सुनने के लिए तैयार हैं।

नकटा दारोगा, जैपाल, बेगम, नौरतन और जमालो के हाजिर होने के बाद तेजसिंह ने कल के दरबार में भूतनाथ की पेश की हुई चिट्ठियाँ, अँगूठी और छोटी किताब राजा गोपालसिंह को दे दी और राजा गोपालसिंह ने इस खयाल से कि कल के और परसों के मामले से भी सभी को आगाही हो जानी चाहिए, जो कुछ पिछले दो दिन के दरबार-खास में हुआ था, रणधीरसिंह की तरफ देखकर बयान किया और इसके बाद "आज भी वे दोनों नकाबपोश इस दरबार में हाजिर हैं जिन्हें हम लोग ताज्जुब की