पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 5.djvu/१३६

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था और उसी जगह से वह तिलिस्मी खंजर और नेजा मैंने निकाला था[] मगर मैं उस रिक्तगन्थ की लिखावट अच्छी तरह समझ नहीं सकती थी, इसलिए उसका ठीक-ठीक और पूरा हाल मैं न जान सकी।

लक्ष्मीदेवी––इसी सबब से आप मेरी बातों का ठीक जवाब न दे सकी तब मैंने सोचा कि आपसे मुलाकात होने पर पूछूँगी कि क्या वहाँ भी कोई तिलिस्म है?

इन्द्रजीतसिंह––जी नहीं, वहाँ कोई तिलिस्म नहीं है। जिस दार्शनिक महात्मा की वह समाधि है, उन्होंने यह तिलिस्म तथा रोहतासगढ़ का तहखाना, तालाब वाला तिलिस्मी खँडहर, जिसमें मैं मुर्दा बनाकर पहुँचाया गया था,[] अथवा जिसमें किशोरी, कामिनी और भैरोंसिंह वगैरह फँस गये थे बनवाया है, और चुनारगढ़ वाला तिलिस्म उनके गुरु का बनवाया हुआ है, यहाँ के राजा जिन्होंने यह तिलिस्म बनवाया था, उन्हीं के शिष्य थे। उन महात्मा ने जीते-जी समाधि ले ली थी और उन्होंने अपना योगाश्रम भी उसी स्थान में बनवाया था। कमलिनी ने तिलिस्मी खंजर उसी योगाश्रम से निकाला होगा क्योंकि वहाँ भी बड़ी-बड़ी अनूठी चीजें हैं।

कमलिनी––जी हाँ, और उसी जगह मैंने इस बात की कसम भी खाई थी कि "भूतनाथ और नानक को अपना भाई समझूँगी, अगर ये लोग हम लोगों के साथ दगा न करेंगे।" यद्यपि यह आश्चर्य की बात है कि अभी तक भूतनाथ के भेदों का सही-सही पता नहीं लगता फिर भी चाहे जो हो यह तो मैं जरूर कहूँगी कि भूतनाथ ने हम लोगों के साथ बड़ी नेकियाँ की हैं।

इन्द्रजीतसिंह––इसमें किसी को क्या शक हो सकता है? भूतनाथ वास्तव में बड़ा भारी ऐयार है। हाँ, यह तो बताओ कि नानक यहाँ कैसे आ पहुँचा?

कमलिनी––भला मैं इस बात को क्या जानूँ?

आनन्दसिंह––(मुस्कराते हुए) अपनी रामभोली को खोजता हुआ आया होगा।

लाड़िली––उसे मालूम हो चुका है कि उसकी रामभोली को मरे तो मुद्दत हो गई।

आनन्दसिंह––खैर, उसकी तस्वीर खोजने आया होगा!

लाडिली––या किसी की बारात में आया होगा!

लाड़िली की इस आखिरी बात ने सबको हँसा दिया और कुँअर आनन्दसिंह शरमाकर चुप हो रहे।

इन्द्रजीतसिंह––(कमलिनी से)इस बात का कुछ पता न लगा कि अग्निदत्त को किसने मारा था! (किशोरी से) शायद इसका जवाब तुम दे सकती हो?

किशोरी––अग्निदत्त को मायारानी के ऐयारों ने मारा था[] और उन्हीं लोगों ने मुझे ले जाकर उस तिलिस्मी खँडहर में कैद किया था।


  1. देखिए छठवाँ भाग, तीसरा बयान।
  2. देखिए तीसरा भाग, पहला बयान।
  3. देखिए पांचवाँ भाग, चौथा बयान।