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और वे अक्षर बड़े-बड़े मालूम होने लगे। अब दोनों भाई बड़ी प्रसन्नता से उस लेख को पढ़ने लगे। यह लिखा हुआ था––
6 | –– | 3 | –– | अ | 5 | –– | 3 | –– | ए |
3 | –– | 3 | –– | ए | 8 | –– | 4 | –– | ० |
7 | –– | 4 | –– | अ | 8 | –– | 3 | –– | ए |
7 | –– | 3 | –– | ए | 1 | –– | 1 | –– | ० |
3 | –– | 1 | –– | औ | 7 | –– | 3 | –– | ० |
5 | –– | 1 | –– | ० | 2 | –– | 3 | –– | ० |
7 | –– | 2 | –– | ए | 6 | –– | 5 | –– | ० |
6 | –– | 5 | –– | ए | 5 | –– | 1 | –– | ० |
5 | –– | 1 | –– | अ | 2 | –– | 1 | –– | ० |
7 | –– | 3 | –– | ई | 7 | –– | 2 | –– | ओ |
2 | –– | 2 | –– | ओ | 5 | –– | 5 | –– | ० |
3 | –– | 3 | –– | ओ | 8 | –– | 4 | –– | ई |
5 | –– | 1 | –– | इ | 5 | –– | 1 | –– | ओ |
7 | –– | 3 | –– | ० | 3 | –– | 3 | –– | अ |
8 | –– | 3 | –– | ० | 5 | –– | 5 | –– | ० |
6 | –– | 5 | –– | ई | 6 | –– | 1 | –– | ० |
2 | –– | 2 | –– | अ | 7 | –– | 2 | –– | ० |
3 | –– | 3 | –– | ० | 1 | –– | 1 | –– | आ |
7 | –– | 2 | –– | ० | 6 | –– | 8 | –– | ० |
1 | –– | 1 | –– | ० | 5 | –– | 5 | –– | ए |
6 | –– | 1 | –– | ० | 2 | –– | 3 | –– | ई |
5 | –– | 5 | –– | ए | –– | –– |
थोड़ी देर तक तो इस लेख का मतलब समझ में न आया लेकिन बहुत सोचने पर आखिर दोनों कुमार उसका मतलब समझ गए[१] और प्रसन्न होकर आनन्दसिंह बोले––
आनन्दसिंह––देखिये, तिलिस्म के सम्बन्ध में कितनी कठिनाइयाँ रक्खी हुई हैं!
इन्द्रजीतसिंह––यदि ऐसा न हो तो हर एक आदमी तिलिस्म के भेद को समझ जाय।
आनन्दसिंह––अच्छा तो अब क्या करना चाहिए?
- ↑ 1. पाठकों के सुभीते के लिए इन दोनों मजमूनों का आशय इस भाग के अन्तिम पृष्ठ पर दे दिया गया है, पर उन्हें अपनी चेष्टा से मतलब समझने की कोशिश अवश्य करनी चाहिए।