पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 4.djvu/९

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करके) देखिए आप लोगों के खाने के लिए मैं तरह-तरह की चीजें लेता आया था, मगर अब लौटा ले जाना पड़ा, क्योंकि जब आपको मुझ पर विश्वास ही नहीं है को कब स्वीकार करेंगे।

इन्द्रजीतसिंह--बेशक, मैं इन चीजों को स्वीकार नहीं कर सकता, जब तक कि मुझे आपकी बातों का विश्वास न हो जाय ।

आनन्दसिंह--(मुस्कुराकर) क्या आपके लड़के-बाले भी इसी तिलिस्म में रहते हैं ? ये सब चीजें आपके घर की बनी हुई हैं या बाजार से लाये हैं ?

बुड्ढा--जी मेरे लड़के वाले नहीं हैं न मैं दुनियादार ही हूँ। यहाँ तक कि कोई नौकर भी मेरे पास नहीं है--ये चीजें तो बाहर से खरीद लाया हूँ।

आनन्दसिंह--तो इससे यह भी जाना जाता है कि आप दिन-रात इस तिलिस्म में नहीं रहते, जब कभी खेल-तमाशा देखने की इच्छा होती होगी तो चले आते होंगे ।

इन्द्रजीतसिंह--खैर, जो हो । हमें इन सब बातों से कोई मतलब नहीं, हमारे सामने जब ये अपने सच्चे होने का सबूत लाकर रखेंगे, तब हम इनसे बातें करेंगे और इनके साथ चलकर इनका घर भी देखेंगे।

इस बात का जवाब उस बुड्ढे ने कुछ न दिया और सिर झुकाये वहाँ से चला गया । इन्द्रजीतसिंह और आनन्दसिंह भी यह देखने के लिए कि वह कहां जाता है और क्या करता है, उसके पीछे चले। बुड्ढे ने घूमकर इन दोनों भाइयों को अपने पीछे-पीछे आते देखा, मगर इस बात की उसने कुछ परवाह न की और बराबर चलता गया ।

हम पहले के किसी बयान में लिख आये हैं कि इस बाग में पश्चिम की तरफ की दीवार के पास एक कुआं था । वह बुड्ढा उसी कुएँ की तरफ चला गया और जब उसके पास पहुँचा तो बिना कुछ रुके एकदम उसके अन्दर कूद पड़ा, इन्द्रजीतसिंह और आनन्द-सिंह भी उस कुएँ के पास पहुँचे और झाँककर देखने लगे, मगर सिवाय अंधकार के और कुछ भी दिखाई न दिया।

आनन्दसिंह--जब वह बुड्ढा बेधड़क इसके अन्दर कूद गया तो यह कुआँ जरूर किसी तरफ निकल जाने का रास्ता होगा !

इन्द्रजीतसिंह--मैं भी यही समझता हूँ ।

आनन्दसिंह--यदि कहिए तो मैं इसके अन्दर जाऊँ ?

इन्द्रजीतसिंह--नहीं-नहीं, ऐसा करना बड़ी नादानी होगी । तुम इस तिलिस्म का हाल कुछ भी नहीं जानते, हाँ, मैं इसके अन्दर बेखटके जा सकता हूँ क्योंकि तिलिस्मी किताब को पढ़ चुका हूँ और वह मुझे अच्छी तरह याद भी है, मगर मैं नहीं चाहता कि तुम्हें इस जगह अकेला छोड़कर जाऊँ।

आनन्दसिंह--तो फिर अब क्या करना चाहिए?

इन्द्रजीतसिंह--बस सबसे पहले तुम इस तिलिस्मी किताब को पढ़ जाओ और इस तरह याद कर जाओ कि पुन: इसके देखने की आवश्यकता न रहे, फिर जो कुछ करना होगा किया जायगा। इस समय इस बुड्ढे का पीछा करना हमें स्वीकार नहीं है।जहाँ तक मैं समझता हूं यह दगाबाज बुड्ढा खुद हम लोगों का पीछा करेगा और फिर