भूतनाथ--तो मेरे दोस्त, तुम मेरी मदद क्यों नहीं करते ? तुम मुझे इस आफत से क्यों नहीं छुड़ाते ? आखिर हम तुम एक ही पाठशाला के पढ़े-लिखे हैं, क्या लड़क- पन की दोस्ती पर ध्यान देते तुम्हें शर्म आती है या क्या तुम इस लायक नहीं हो ?
सरयूसिंह--(हँसकर) नहीं-नहीं, ऐसा खयाल न करो, मैं तुम्हारी मदद जरूर करूँगा, अभी तक तो तुम्हें किसी से मदद लेने की आवश्यकता भी नहीं पड़ी थी और जब आवश्यकता आ पड़ी है तो मदद करने के लिए हाजिर भी हो गया हूँ।
भूतनाथ--(मुस्कुरा कर) तब तो मुझे खुश होना चाहिए, मगर जब तक तुम्हारा मालिक रोहतासगढ़ से लौटकर न आ जाये, तब तक हम लोग कुछ भी न कर सकेंगे।
सरयू--क्यों न कर सकेंगे?
भूतनाथा--इसलिए कि तुम्हारा मालिक मुझे यहाँ कैद कर गया है। मैं इसे कैद ही समझता हूँ, जब कि यहाँ से बाहर निकलने की आज्ञा नहीं है।
सरयू--यह कोई बात नहीं है, अगर जरूरत आ पड़े तो मैं तुम्हें इस मकान के बाहर कर दूंगा, चाहे बाहर होने का रास्ता अपने मालिक के नियमानुसार न बताऊँ।
भूतनाथ--(प्रसन्नता से हाथ उठाकर) ईश्वर, तू धन्य है। अब आशा-लता ने जिसमें सुन्दर और सुगन्धित फूल लगे हुए हैं, मुझे फिर घेर लिया। (सरयू से) अच्छा दोस्त, तो अब बताओ कि मुझे क्या करना चाहिए?
सरयू--सबके पहले मनोरमा को अपने कब्जे में लाना चाहिए।
भूतनाथ--(कुछ सोच कर) ठीक कहते हो, मेरी भी एक दफे यही इच्छा हुई थी, मगर क्या तुम इस बात को नहीं जानते कि शिवदत्त, मनोरमा और-
सरयू-–(बात काट कर) मैं खूब जानता हूँ कि शिवदत्त, माधवी और मनोरमा को कमलिनी के कैदखाने से निकल भागने का मौका मिला और वे लोग भाग गए।
भूतनाथ--तब ?
सरयू--मगर आज एक खबर ऐसी सुनने में आई है जो आश्चर्य और उत्कंठा बढ़ाने वाली है और हम लोगों को चुपचाप बैठे रहने की आज्ञा नहीं देती।
भूतनाथ--वह क्या?
सरयू--यही कि कम्बख्त मायारानी की मदंद पाकर शिवदत्त, माधवी और मनोरमा ने, जो पहले ही अमीर थे, अपनी ताकत बहुत बढ़ा ली और सबके पहले उन्होंने यह काम किया कि राजा दिग्विजयसिंह के लड़के कल्याणसिंह को कैद से छुड़ा लिया, जिसकी खबर राजा वीरेन्द्रसिंह को अभी तक नहीं हुई, और यह भी तुम जानते ही हो कि रोहतासगढ़ के तहखाने का भेद कल्याणसिंह उतना ही जानता है जितना उसका बाप जानता था।
भूतनाथ--बेशक-बेशक, अच्छा तब ?
सरयू--अब उन लोगों ने यह सुनकर कि राजा वीरेन्द्रसिंह, तेजसिंह इत्यादि ऐयार तथा किशोरी, कामिनी, कमलिनी, कमला और लाड़िली वगैरह सभी रोहतासगढ़ में मौजूद हैं, गुप्त रीति से रोहतासगढ़ पहुँचने का इरादा किया है।