पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 4.djvu/२३१

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में लौट आये। तुम जानते ही हो कि कृष्ण जिन्न कितना बुद्धिमान और होशियार तथा हम लोगों का दोस्त आदमी है।

भैरोंसिंह--बेशक, उनकी हिफाजत में किशोरी, कामिनी और कमला को किसी तरह की तकलीफ नहीं हो सकती और यह आपने बड़ी खुशी की बात सुनाई, मगर मैं समझता हूँ कि इन भेदों को अभी आप गुप्त रखेंगे और यह बात जाहिर नहीं होने देंगे कि वे तीनों, जो मारी गई हैं, वास्तव में किशोरी, कामिनी और कमला न थीं।

तेजसिंह--नहीं-नहीं, अभी इस भेद का खुलना उचित नहीं है। सभी को यही मालूम रहना चाहिए कि वास्तव में किशोरी, कामिनी और कमला मारी गईं। अच्छा, अब दो-चार बातें तुम्हें और कहनी हैं, वह भी सुन लो।

भैरोंसिंह--जो आज्ञा।

तेजसिंह--कृष्ण जिन्न तो कामकाजी आदमी ठहरा और वह ऐसे-ऐसे बखेड़ों में फंसा है कि कि उसे दम मारने की फुर्सत नहीं।

भैरोंसिंह--निःसन्देह ऐसा ही है। इतना काम जो वह करते हैं सो भी उन्हीं की बुद्धिमानी का नतीजा है, दूसरा नहीं कर सकता।

तेजसिंह–-अब कृष्ण जिन्न तो ज्यादा दिनों तक उस मकान में रह नहीं सकता जिसमें किशोरी, कामिनी और कमला हैं। वह अपने ठिकाने चला गया होगा। मगर उन तीनों की हिफाजत का पूरा-पूरा बन्दोबस्त कर गया होगा। अब तुम भी इसी समय उस मकान की तरफ चले जाओ और जब तक हमारा दूसरा हुक्म न पहुँचे या कोई आवश्यक काम न आ पड़े तब तक उन तीनों के साथ रहो, हम उस मकान का पता तथा उसके अन्दर जाने की तरकीब तुम्हें बता देते हैं।

भैरोंसिंह--जो आज्ञा, मैं अभी जाने के लिए तैयार हूँ।

तेजसिंह ने उस मकान का पूरा-पूरा हाल भैरोंसिंह को बता दिया और भैरों- सिंह उसी समय अपने बाप के चरण छूकर बिदा हुए।

भैरोंसिंह के जाने के बाद सवेरा होने पर एक ब्राह्मण द्वारा नकली किशोरी, कामिनी और कमला के मृत देह की दाह-क्रिया कर दी गई। इसके पहले ही लश्कर में जितने पढ़े-लिखे ब्राह्मण थे, सभी को बटोरकर तेजसिंह ने यह व्यवस्था करा ली थी कि इन तीनों का कोई नातेदार यहां मौजूद नहीं है, इसलिए किसी ब्राह्मण द्वारा इनकी क्रिया करा देनी चाहिए। इस काम से छुट्टी पाने के बाद लश्कर ने कूच कर दिया और सब कोई धीरे-धीरे चुनारगढ़ की तरफ रवाना हुए।



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दोनों कुमार यद्यपि सरयू को पहचानते न थे, मगर इन्दिरा की जुबानी उसका हाल सुन चुके थे, इसलिए उन्हें शक हो गया कि यह सरयू है। दूसरे राजा गोपालसिंह