पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 4.djvu/२१५

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उन दोनों को निगल जायगा।

दूसरा--और वाकी के दरवाजे मजबूती के साथ बन्द कर देने चाहिए जिसमें वे और किसी तरफ जा न सकें।

पहला–-बेशक, इसके अतिरिक्त एक काम और भी करना चाहिए, जिसमें वे दोनों उस दरवाजे के अन्दर जरूर जाएँ-अर्थात् उन दोनों लड़कियों को भी उस अजगर वालो कोठरी में हाथ-पैर बांधकर पहुँचा देना चाहिए, जिन पर दोनों कुमार आशिक हैं।

दूसरा--यह तुमने बहुत अच्छी बात कही। जब वह अजगर उन लड़कियों को निगलना चाहेगा तो वे जरूर चिल्लायेंगी, उस समय आवाज पहचानने पर वे दोनों अपने को किसी तरह रोक न सकेंगे और उस दरवाजे के अन्दर जाकर अजगर की खुराक बनेंगे।

पहला--यह भी अच्छी बात कही। अच्छा उन उन दोनों को पकड़ लाओ और हाथ-पैर बांध कर उस कोठरी में डाल दो। अगर इस कार्रवाई से काम न चलेगा, तो दूसरी कार्रवाई की जायगी, मगर उन्हें इस मकान के बाहर न जाने देंगे।

इसके बाद वह बातचीत की आवाज वन्द हो गई और यकायक सामने आईने में कुंअर इन्द्रजीतसिंह और आनन्दसिंह ने अपने प्यारे ऐयार भैरोंसिंह और तारासिंह की सूरत देखी, सो भी इस ढंग से कि दोनों ऐयार अकड़ते हुए एक तरफ से आए और दूसरी तरफ को चले गये। इसके बाद दो औरतों की सूरत नजर आई। पहले तो पहचानने में कुछ शक हुआ, मगर तुरन्त ही मालूम हो गया कि वे दोनों कमलिनी और लाडिली हैं। उन दोनों की कमर में लोहे की जंजीरें बँधी हुई थीं और एक मजबूत आदमी उन्हें अपने हाथ में लिए उन दोनों के पीछे-पीछे जा रहा था। यह भी देखा कि कमलिनी और लाड़िली चलते-चलते रुकी और उसी समय पिछले आदमी ने उन दोनों को धक्का दिया जिससे वे झुक गईं और सिर हिला कर आगे बढ़ती हुई नजरों की ओट हो गई।

भैरोंसिंह और तारासिंह यहाँ कैसे आ पहुँचे ? और कमलिनी तथा लाडिली को कैदियों की तरह ले जाने वाला वह कौन था ? इस शीशे के अन्दर उन सभी की सूरत कैसे दिखाई पड़ी? चारों तरफ से बन्द रहने पर भी यहाँ आवाज कैसे आई ? इन बातों को सोचते हुए दोनों कुमार बहुत दुःखी हुए।

आनन्दसिंह--भैया, यह तो बड़े आश्चर्य की बात मालूम पड़ती है। यह लोग (अगर वास्तव में कोई हों तो) कहते हैं कि अजगर कुमारों को निगल जायगा। मगर हम लोग तो खुद ही अजगर के मुंह में जाने के लिए तैयार हैं क्योंकि तिलिस्मी बाजे की यही आज्ञा है। अव कहिए तिलिस्मी बाजे की बात झूठी है या ये लोग कोई धोखा देना चाहते हैं?

इन्द्रजीतसिंह--मैं भी इन्हीं बातों को सोच रहा हूँ। तिलिस्मी बाजे की आवाज को झूठा समझना तो बुद्धिमानी की बात नहीं होगी क्योंकि उसी आवाज के भरोसे पर हम लोग तिलिस्म तोड़ने के लिए तैयार हुए हैं। मगर हाँ, इस बात का पता लगाये बिना अजदहे के मुंह में जाने की इच्छा नहीं होती कि यह आवाज आखिर थी कैसी,और इस आईने में जिन लोगों के बातचीत की आवाज सुनाई दी है, वे वास्तव में कोई हैं भी या सब बिल्कुल तिलिस्मी खेल ही है ? कलई किए हुए आईने में किसी ऐसे आदमी