अपना नाम अब भूतनाथ रख लिया है छोड़ दिया और अब वह चारों तरफ उपद्रव मचा रहा है। ताज्जुब नहीं कि वह जमीन की मिट्टी सूंघता हुआ मेरे घर में भी आ पहुंचे ! यद्यपि उसे मेरा पता कुछ भी मालूम नहीं है मगर वह विचित्र आदमी है, मिट्टी और हवा में मिल गई चीज का भी पता लगा लेता है। (ऊँची साँस लेकर) अगर मुझसे और उससे लड़ाई न हो गई होती तो आज मैं भी तीन हाथ की ऊँची गद्दी पर बैठने का साहस करती, मगर अफसोस, भूतनाथ ने मेरे साथ बहुत ही बुरा सलूक किया ! (कुछ सोचकर) यदि बलभद्रसिंह को लेकर मैं राजा वीरेन्द्रसिंह के पास चली जाऊँ और भूतनाथ के ऊपर नालिश करूँ तो मैं बहुत अच्छी रहूँ ! मेरे मुकदमे की जवाबदेही भूतनाथ कदापि नहीं कर सकता और राजा साहब उसे जरूर प्राणदण्ड की आज्ञा देंगे। बलभद्रसिंह को छिपा रखने का यदि मुझ पर दोष लगाया जायगा तो मैं कह सकूँगी कि जिस जमाने में जो राजा होता है प्रजा उसी का पक्ष करती है। अगर मैंने मायारानी और दारोगा के जमाने में उन लोगों का पक्ष किया तो कुछ बुरा नहीं किया। मैं इस बात को बिल्कुल नहीं जानती थी बल्कि दारोगा भी नहीं जानता था कि राजा गोपालसिंह को मायारानी ने कैद कर रक्खा है, अतः अब आपका राज्य हआ है तो मैं आपकी सेवा में उपस्थित हुई हूँ।
जमालो--बात तो बहुत अच्छी है, फिर इस बात में देर क्यों कर रही हो? इस काम को जितना जल्द करोगी, तुम्हारा भला होगा।
बेगम--(कुछ सोचकर) अच्छी बात है, ऐसा करने के लिए मैं कल ही यहाँ से रवाना हो जाऊँगी।
इतने ही में दरवाजे के बाहर से यह आवाज आई, "मगर भूतनाथ को भी तो अपनी जान प्यारी है, वह ऐसा करने के लिए तुम्हें जाने कब देगा?"
तीनों ने चौंककर दरवाजे की तरफ निगाह की और भूतनाथ को कमरे के अन्दर आते हुए देखा।
बेगम--(भूतनाथ से) आओ जी मेरे पुराने दोस्त, भला तुमने मेरे सामने आने का साहस तो किया!
भूतनाथ--साहस और जीवट तो हमारा असली काम है।
बेगम--(अपनी बाईं तरफ बैठने का इशारा करके) इधर बैठ जाओ। मालूम होता है कि पुरानी बातों को तुम बिल्कुल ही भूल गये।
भूतनाथ--(बेगम की दाहिनी तरफ बैठकर)हम दुनिया में आने से भी छ: महीने पहले की बात याद रखने वाले आदमी हैं, आज वह दिन नहीं है जिस दिन तुम्हें और जयपाल को देखने के साथ ही डर से मेरे बदन का खून रगों के अन्दर ही जम जाता था, बल्कि आज का दिन उसके बिल्कुल विपरीत है।
बेगम–-अर्थात् आज तुम मुझे देखकर खुश होते हो।
भूतनाथ--बेशक!
बेगम--क्या आज तुम मुझसे बिल्कुल नहीं डरते?
भूतनाथ--रत्ती भर नहीं!