पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 4.djvu/१७५

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तो होना ही चाहिए, बस ! अतः इस समय जिस मकान में हम अपने पाठकों को ले चलते हैं, देखनेवाले उस मकान को भी किसी ऐसे ही साधु या गुसाईं का मठ कहेंगे पर वास्तव में ऐसा नहीं है। इस मकान के अन्दर कोई विचित्र मनुष्य रहता है और उसके काम भी बड़े ही अनूठे हैं।

यह मकान भी कई मंजिल का है। नीचे वाली तीनों मंजिलों को छोड़कर इस समय हम ऊपर वाली चौथी मंजिल पर चलते हैं जहाँ एक छोटे-से कमरे में तीन औरतें बैठी हुई आपस में बातें कर रही हैं। रात दो पहर से कुछ ज्यादा जा चुकी है। कमरे के अन्दर यद्यपि बहुत से शीशे लगे हैं मगर रोशनी सिर्फ एक शमादान और एक दीवारगीर की ही हो रही है। शमादान फर्श के ऊपर जल रहा है जहाँ तीनों औरतें बैठी हैं। उनमें एक औरत तो निहायत हसीन और नाजुक है और यद्यपि उसकी उम्र लगभग चालीस वर्ष के पहुंच गई होगी मगर उसकी नजाकत, सुडौली और चेहरे का लोच अभी तक कायम है, उसकी बड़ी-बड़ी आँखों में अभी तक गुलाबी डोरियाँ और मस्तानापन मौजूद है, सिर के बड़े-बड़े और घने बालों में चांदी की तरह चमकने वाले बाल दिखाई नहीं देते और न अलग से देखने में ज्यादा उम्र की ही मालूम पड़ती है, साथ ही इसके बाली-पत्ते-गोप-सिकरी-कड़े-छन्द और अंगूठियों की तरफ ध्यान देने से वह रुपये वाली भी मालूम पड़ती है। उसके पास बैठी हुईं दोनों औरतें भी उसी की तरह कमसिन और खूबसूरत नहीं तो कुछ बदसूरत भी नहीं हैं। जो बहुत हसीन और इस मकान की मालिक औरत है उसका नाम बेगम1 है और बाकी दोनों में एक औरतों का नाम नौरतन और दूसरी का जमालो है।

बेगम--चाहे जयपालसिंह गिरफ्तार हो गया हो मगर भूतनाथ उसका मुकाबल नहीं कर सकता और न भूतनाथ उसे अपनी हिफाजत ही में रख सकता है।

जमालो--ठीक है, मगर जब लक्ष्मीदेवी और राजा वीरेन्द्र सिंह को यह मालूम हो गया कि यह असली बलभद्रसिंह नहीं और इसने बहुत बड़ा धोखा देना चाहा था तो वे उसे जीता कब छोड़ेंगे!

बेगम--तो क्या वह खाली इतने ही कसुर पर मारा जायगा कि उसने अपने को बलभद्रसिंह जाहिर किया?

जमालो--क्या यह छोटा-सा कसूर है ! फिर असली बलभद्रसिंह का पता लगाने के लिए भी तो लोग उसे दिक करेंगे।

बेगम--अगर इन्साफ किया जायगा तो जयपाल गदाधरसिंह से ज्यादा दोषी न ठहरेगा, ऐसी अवस्था में मुझे यह आशा नहीं होती कि राजा वीरेन्द्र सिंह उसे प्राणदण्ड देंगे।

नौरतन--राजा वीरेन्द्रसिंह चाहे उसे प्राथदण्ड की आज्ञा न भी दें मगर इन्द्रदेव उसे कदापि जीता न छोड़ेगा और यह बात बहत बुरी हुई कि राजा वीरेन्द्रसिंह ने उसे इन्द्रदेव के हवाले कर दिया।


1. बेगम नाम मे मुसलमान न समझना चाहिए।