नहीं मिलता था। उन्हें इस बात का पूरा-पूरा विश्वास था कि मनोरमा निःसन्देह किसी लौंडी की सूरत में होगी, मगर बहुत-सी लौंडियों में से मनोरमा को, जो बड़ी धूर्त और ऐयार थी, छांटकर निकालना कठिन काम था। मनोरमा के न पकड़े जाने का एक सबब और भी था, तेजसिंह इस बात को तो सुन ही चुके थे कि मनोरमा ने बेवकूफ नानक से तिलिस्मी खंजर ले लिया है, अस्तु तेजसिंह का ख्याल यही था कि मनोरमा तिलिस्मी खंजर अपने पास अवश्य रखती होगी। यद्यपि राजा साहब की बहुत-सी लौंडियाँ खंजर रखती थीं मगर तिलिस्मी खंजर रखने वालों को पहचान लेना तेजसिंह मामूली काम समझते थे और उनकी निगाह इसलिए बार-बार तमाम लौंडियों की उँगलियों पर पड़ती थी कि तिलिस्मी खंजर के जोड़ की अंगूठी किसी-न-किसी की उँगली में जरूर दिखाई दे जायेगी और जिसकी उँगली में वैसी अंगूठी दिखाई देगी, वे उसे ही मनोरमा समझ के तुरन्त गिरफ्तार कर लेंगे।
यह सब कुछ था, मगर मनोरमा भी कुछ कम चागली न थी और उसकी होशियारी और चालाकी ने तेजसिंह को पूरा धोखा दिया। इस बात को मनोरमा भी पहले ही से विचार चुकी थी कि मेरे हाथ में तिलिस्मी खंजर के जोड़ की अंगूठी अगर तेजसिंह देखेंगे तो मेरा भेद खुल जायेगा, अतएव उसने बड़ी मुस्तैदी और हिम्मत का काम किया अर्थात् इस लश्कर में आ मिलने के पहले ही उसने इस बात को आजमाया कि तिलिस्मी खंजर के जोड़ की अंगूठी केवल उँगली ही में पहनने से काम देती है या बदन के किसी भी हिस्से के साथ लगे रहने से उसका फायदा पहुँचता है। परीक्षा करने पर जब यह मालूम हुआ कि वह तिलिस्मी अंगूठी केवल उँगली ही में पहनने के लिए नहीं है बल्कि बदन के किसी भी हिस्से के साथ लगे रहने से भी अपना काम कर सकती है तब उसन अपनी जाँघ चीर के तिलिस्मी खंजर के जोड़ की अंगूठी उसमें भर दी और ऊपर से सीं कर तथा मरहम-पट्टी लगाकर आराम कर लिया। इसी सबब से आज तिलिस्मी खंजर रहने पर भी तेजसिंह उसे पहचान नहीं सके, मगर तेजसिंह का दिल इस बात को भी कबूल नहीं कर सकता था कि मनोरमा इस लश्कर में नहीं है, बल्कि मनोरमा के मौजूद होने का विश्वास उन्हें उतना ही था, जितने पढ़े-लिखे आदमी को एक और एक मिलकर दो होने का विश्वास होता है।
आज तेजसिंह ने यह हुक्म जारी किया कि किशोरी, कामिनी और कमला के खेमे में उस समय कोई लौंडी न रहे और न जाने पावे जब वे तीनों निद्रा की अवस्था में हों अर्थात् जब वे तीनों जागती रहें तब तक तो लौंडियाँ उनके पास रहें और आ-जा सके परन्तु जब वे तीनों सोने की इच्छा करें तब एक भी लौडी खेमे में न रहने पावे और जब तक कमला घण्टी बजाकर किसी लौंडी को बुलाने का इशारा न करे, तब तक कोई लौंडी खेमे के अन्दर न जाये, और उस खेमे के चारों तरफ बड़ी मुस्तैदी के साथ पहरा देने का इन्तजाम रहे।
इस आज्ञा को सुनकर मनोरमा. बहुत ही चिटकी और मन में कहने लगी कि
1. किशोरी, कामिनी और कमला 'एक ही खेमे में साथ-साथ रहा करती थीं।