कि बलभद्रसिंह का पता लगाने के बदले तुम स्वयं अन्तर्धान हो जाओ और हमको राजा वीरेन्द्रसिंह के आगे झूठा करो।
भूतनाथ--नहीं-नहीं, ऐसा कदापि नहीं हो सकता। यदि मुझे नेकनामी के साथ राजा वीरेन्द्रसिंह का ऐयार बनने का शौक न होता तो मैं इन बखेड़ों में क्यों पड़ता ? बिना कुछ पाये उनका इतना काम क्यों करता? रुपये की मुझे कुछ परवाह न थी, मैं किसी दूसरे देश में चला जाता और खुशी के साथ जिन्दगी बिताता। मगर नहीं, मुझे राजा वीरेन्द्रसिंह के साथ रहने का बड़ा उत्साह है और जिस दिन से राजा गोपालसिंह का पता लगा है, उसी दिन से मैं उनके दुश्मनों की खोज में लगा हूँ और बहुत सी बातों का पता लगा भी चुका हूँ।
जिन्न--(बात काटकर)तो क्या तुमको इस बात की खबर न थी कि मायारानी ने गोपालसिंह को कैद करके किसी गुप्त स्थान में रख दिया है ?
भूतनाथ--नहीं, बिल्कुल नहीं।
जिन्न--और इस बात की भी खबर न थी कि मायारानी वास्तव में लक्ष्मीदेवी नहीं है ?
भूतनाथ--इस बात को मैं अच्छी तरह जानता था।
जिन्न–-तो तुमने गोपालसिंह के आदमियों को इसकी खबर क्यों नहीं की ?
भूतनाथ–-मैंने इसलिए मायारानी का असल हाल किसी से नहीं कहा कि मुझे राजा गोपालसिंह के मरने का पूरा-पूरा विश्वास हो चुका था और उसके पहले मैं रणधीर- सिंहजी के यहाँ नौकर था, तब मुझे दूसरे राज्य के भले-बुरे कामों से मतलब ही क्या था?
जिन्न--तुमसे और हेलासिंह से जब दोस्ती थी तब तुम किसके नौकर थे?
भूतनाथ–-मुझसे और हेलासिंह से कभी दोस्ती थी ही नहीं ! मैं तो आपसे कंद- खाने के अन्दर ही कह चुका हूं कि राजा गोपालसिंह के छूटने के बाद मैंने उन कागजों का पता लगाया है जो इस समय मेरे ही साथ दुश्मनी कर रहे हैं और
जिन्न--हाँ-हाँ, जो कुछ तुमने कहा था मुझे बखूबी याद है। अच्छा, अब यह बताओ कि इस समय तुम कहाँ जाओगे और क्या करोगे?
भूतनाथ--मैं खुद नहीं जानता कि कहाँ जाऊँगा और क्या करूँगा, बल्कि यह बात मैं आप ही से पूछने वाला था।
जिन्न--(ताज्जुब से) क्या तुम्हें मालूम नहीं है कि बलभद्रसिंह को किसने कैद कैद किया और अब वह कहाँ है ?
भूतनाथ-–इतना तो मैं जानता हूँ कि बलभद्रसिंह को मायारानी के दारोगा ने किया था मगर यह नहीं मालूम कि इस समय वह कहाँ है।
जिन्न-–अगर ऐसा ही है तो कमलिनी के तिलिस्मी मकान के बाहर तुमने तेजसिंह से क्यों कहा था कि मेरे साथ कोई चले तो मैं असली बलभद्रसिंह को दिखा दूंगा? इस बात से तो तुम खुद झूठे साबित होते हो!
भूतनाथ--जी हाँ, बेशक मैंने नादानी की जो ऐसा कहा, मगर मुझे इस बात का निश्चय हो चुका है कि बलभद्रसिंह अभी तक जीता है और उसे तिलिस्मी दारोगा ने
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